दुर्ग। CG New Cabinet: मध्य प्रदेश से विभाजित होने के बाद नव गठित छत्तीसगढ़ में पहला विधानसभा सभा चुनाव 2003 में हुआ था। कांग्रेस सत्ता में आई और अजीत जोगी पहले सीएम बने।
लेकिन 2008 में कांग्रेस बहुमत हासिल करने में कामयाब नहीं हुई और सत्ता से बाहर हो गई। बीजेपी ने बहुमत हासिल कर छत्तीसगढ़ की सत्ता में एंट्री की और रामन सिंह को सीएम बनाया गया है।
15 साल बाद फिर 2018 में कांग्रेस ने वापसी की, लेकिन 5 साल बाद 2023 में बीजेपी फिर वापिसी कर ली है। इन दोनों ही पार्टियों की सरकारों के मंत्रीमंडल की एक बात कॉमन रही कि दुर्ग जिले के किसी ना किसी कद्दावर नेता को जगह जरूर मिली है।
6 सीट में से चार सीटों पर BJP
2023 विधानसभा चुनाव में दुर्ग जिले की 6 सीट में से चार सीटों पर भाजपा के जीतने के बावजूद मंत्रिमंडल में इस बार जिले को जगह मिलती नहीं दिख रही है।
2018 की बात करें तो दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा से ही भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री चुना गया था, दुर्ग ग्रामीण से ताम्रध्वज साहू को गृहमंत्री और अहीवारा विधानसभा से गुरु रुद्र कुमार को कैबिनेट में जगह मिली थी।
इसी प्रकार 2003, 08 और 13 में भी स्वर्गीय हेमचंद यादव, प्रेम प्रकाश पांडेय और रामशिला साहू कैबिनेट मंत्री रहे।
मंत्रीमंड़ल की रेस में नहीं दिख रहे दुर्ग के दिग्गत
लेकिन इस बार दुर्ग जिले के 6 विधानसभा सीटों में से चार विधायक ललित चंद्राकर, रीकेश सेन, डोमन लाल कोरसेवाड़ा और गजेंद्र यादव ने जीत हासिल जरूर की है, लेकिन बावजूद इसके कैबिनेट में इन चारों को जगह मिलते नहीं दिख रही है।
BJP के ये दिग्गज हार गए चुनाव
भारतीय जनता पार्टी के दो गद्दार नेता प्रेम प्रकाश पांडे और विजय बघेल दुर्ग जिले के भिलाई नगर और पाटन विधानसभा से चुनाव लढ़ा, लेकिन इन्हें हार का सामना करना पड़ा।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है, अगर इन दो बड़े चहरे ने जीत हासिल की होती तो निश्चित तौर पर कैबिनेट में दुर्ग जिले को मंत्रीमंडल में जगह मिल सकती थी।
इस बार विधानसभा के तीन नए चेहरे और डोमन लाल कोरसेवाड़ा जो की दूसरी बार अहिवारा से चुनाव लड़कर जीते हैं उन्हें कैबिनेट में जगह मिलती नहीं दिख रही है।
मंत्रीमंड़ल में न्यूट्रल दिखाई देगा दुर्ग
रायपुर के बाद सबसे अधिक वीवीआईपी मूवमेंट दुर्ग जिले में ही होता रहा है। लेकिन इस बार अगर किसी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिलती है, तो दुर्ग जिला लंबे अरसे बाद न्यूट्रल दिखाई देगा।
अविभाजित मध्य प्रदेश में भी स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जैसे कई कद्दावर नेता इसी जिले से विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने।
लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव में दुर्ग जिला मौन दिखाई दे रहा है। आगर कैबिनेट में जगह नहीं मिलती तो इतिहास में यह पांच साल दर्ज़ हो जाएगा जब दुर्ग छत्तीसगढ़ के केंद्र में दिखाई नहीं देगा।
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