नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सरकारों द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं की पृष्ठभूमि में कल्याण और विकास के उद्देश्यों के बीच तालमेल बिठाने पर व्यापक चर्चा का शनिवार को आह्वान किया। उन्होंने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) से इस पहलू पर विचार करने का अनुरोध किया ताकि व्यापक चर्चा का मार्ग प्रशस्त हो सके।
सभापति ने यह भी कहा कि संसद को हर साल कम से कम 100 दिन और राज्य विधानसभाओं को कम से कम 90 दिन बैठक करनी चाहिए। लोक लेखा समिति (पीएसी) के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद के केंद्रीय कक्ष में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि व्यय को सावधानीपूर्वक संतुलित किया जाना चाहिए ताकि अल्पकालिक और दीर्घकालिक विकास उद्देश्यों दोनों पर समान रूप से ध्यान दिया जा सके।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भी मौजूद थे। कोविंद ने रेखांकित किया कि पीएसी अनियमितताओं का पता लगाने के लिए सार्वजनिक व्यय की जांच करती है। उन्होंने कहा कि संसदीय समिति इसे न केवल कानूनी दृष्टिकोण बल्कि ”अर्थव्यवस्था, विवेक, और औचित्य के नजरिये से” भी देखती है।
उन्होंने कहा, ”इसका (पीएसी) का कोई अन्य उद्देश्य नहीं बल्कि बर्बादी, नुकसान, भ्रष्टाचार, अपव्यय, अक्षमता के मामलों को ध्यान में लाना है। अगर ईमानदार करदाताओं से आने वाले प्रत्येक रुपये में से अधिक पैसा जरूरतमंद लोगों और राष्ट्र निर्माण के लिये पहुंच रहा है, तो इसके पीछे पीएसी और उसके सदस्यों की बड़ी भूमिका है।”
बिरला ने कहा कि संसदीय समितियां ‘‘मिनी पार्लियामेंट’’ की तरह हैं और लोगों की समस्याओं को हल करने व उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रभावी मंच के रूप में भी देखी जाती हैं।इससे पहले नायडू ने अपने संबोधन में सुझाव दिया कि पीएसी अपव्यय को रोकने के लिए सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से संसाधनों के उपयोग की जांच करे और मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं पर व्यापक चर्चा हो।
उन्होंने कहा, ”हम सभी इस मौजूदा परिदृश्य से अवगत हैं, जिसमें सरकारें स्पष्ट कारणों से मुफ्त में सेवाएं दे रही हैं। जरूरतमंद लोगों का कल्याण और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकारों का एक महत्वपूर्ण दायित्व है। अब समय आ गया है कि कल्याण और विकास के उद्देश्यों में सामंजस्य स्थापित करने पर व्यापक चर्चा हो। पीएसी अपव्यय को रोकने के लिए सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से संसाधनों के उपयोग की जांच करे।”
पीएसी अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना समिति का काम है कि संसद द्वारा दी गई राशि को सरकार ने ‘मांग के दायरे में’ खर्च किया है।कांग्रेस नेता ने कहा, ”दशकों से, पीएसी द्वारा की जा रही खातों की जांच सरकारी कामकाज के सिलसिले में सार्वजनिक जवाबदेही को लागू करने के उद्देश्य को पूरा करती रही है। और इस तरह, समिति प्रशासन के संचालन में दक्षता व वित्तीय औचित्य के मानक को बनाए रखने की दिशा में योगदान देती है।”