Vehicle Scrapping Policy: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने संकेत दिया है कि केंद्र सरकार वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी में संशोधन कर सकती है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय अब वाहनों की स्क्रैपिंग को उनकी उम्र के बजाय उनके प्रदूषण स्तर से जोड़ने की बात पर विचार कर रहा है। सियाम (सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) की वार्षिक बैठक में जैन ने कहा, “लोगों ने पूछा है कि अगर वे अपने वाहन का सही रखरखाव कर रहे हैं, तो उन्हें स्क्रैप क्यों करना चाहिए?”
इसके जवाब में मंत्रालय इस विकल्प पर विचार कर रहा है कि वाहन की उम्र के बजाय प्रदूषण मानकों (जैसे बीएस-1 या बीएस-2 से पहले के वाहन) के आधार पर स्क्रैपिंग अनिवार्य की जाए। हालांकि, जैन ने यह भी कहा कि इसके लिए एक विश्वसनीय प्रदूषण प्रमाणपत्र जारी करने की व्यवस्था की आवश्यकता होगी, और इस संबंध में उद्योगों से सुझाव मांगे गए हैं।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी ऑटोमोबाइल कंपनियों से अनुरोध किया था कि यदि कोई व्यक्ति अपना पुराना वाहन स्क्रैप कर नया वाहन खरीदता है, तो उसे अधिक छूट दी जानी चाहिए। इस कदम से न केवल प्रदूषण में कमी आएगी बल्कि स्टील के आयात पर भी निर्भरता घटेगी।
PUC के नियम नहीं हैं सख्त
आपको बता दें कि वर्तमान में वाहनों के प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) के नियम सख्त नहीं हैं। ऐसा देखने को मिलता है कि PUC बनवाने के लिए सारे नियमों का पालन सही तरीके से नहीं किया जाता है। पीयूसी प्रमाणपत्र का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वाहन प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के अनुरूप हो, लेकिन इस प्रक्रिया में अनियमितताएं देखी जाती हैं।
अभी क्या हैं स्क्रैपिंग के नियम
भारत में 1 अप्रैल 2022 से वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी लागू की गई है। इसके अनुसार, 20 साल पुराने निजी वाहनों और 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को तब स्क्रैप करना अनिवार्य होता है, जब वे प्रदूषण या फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाते हैं।
इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति स्क्रैप सर्टिफिकेट के आधार पर नया वाहन खरीदता है, तो उसे कुछ छूट दी जाती है। हालांकि, यह नियम दिल्ली को छोड़कर अन्य राज्यों में अनिवार्य नहीं है। दिल्ली में एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़कों से हटाना अनिवार्य है।
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खत्म हो सकती है सालों वाले नियम
यदि वाहन स्क्रैपिंग के लिए उनकी उम्र के बजाय प्रदूषण और फिटनेस मानकों को आधार बनाया जाता है, तो भी स्क्रैपिंग की प्रक्रिया जारी रहेगी। आपको बता दें कि देश में 1.5 करोड़ वाहन ऐसे हैं जो अनफिट हैं और उन्हें स्क्रैप किया जाना आवश्यक है। हर साल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें या तो अनफिट वाहन शामिल होते हैं या वे दुर्घटना के बाद थाना परिसरों में केस प्रॉपर्टी के रूप में पड़े रहते हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं हो पाता।
वाहन रजिस्ट्रेशन का क्या है नियम
वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट 15 साल के लिए वैध होता है। इसके बाद, वैधता समाप्त होने से 60 दिन पहले इसे रिन्यू कराना होता है। फिटनेस टेस्ट पास करने पर हर 5 साल में रजिस्ट्रेशन को रिन्यू किया जा सकता है।
क्यों बदलेगा स्क्रैपिंग नियम (Vehicle Scrapping Policy)
आपको बता दें कि बहुत से लोग अपनी गाड़ियों की फिटनेस का ध्यान रखते हैं और उन्हें लंबे समय तक अच्छी स्थिति में बनाए रखते हैं। ऐसे में उनकी चिंता यह है कि अगर गाड़ी फिट और कम प्रदूषण करने वाली है, तो भी सिर्फ समय सीमा पूरी होने के आधार पर उसे स्क्रैप क्यों किया जाए। आमतौर पर लोग अपनी जिंदगी की बड़ी कमाई से वाहन खरीदते हैं, और बेहतर रखरखाव करके उसकी फिटनेस बनाए रखते हैं। इसीलिए स्क्रैपिंग पॉलिसी में बदलाव की बात उठाई जा रही है।
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