Advertisment

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत की डेट को लेकर न हों कंफ्यूज, 26 या 27 मई क्या है सही तारीख, देखें सही डेट

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत की डेट को लेकर न हों कंफ्यूज, 26 या 27 मई क्या है सही तारीख Vat savitri-vrat-2025-kab-hai-26-or-27-may-2025-muhurat-vrat-katha-puja-samagri-vidhi-hindi-news-pds

author-image
Preeti Dwivedi
Vat-Savitri-Vrat-2025-Kab-Hai.Date-Muhurat

Vat-Savitri-Vrat-2025-Kab-Hai.Date-Muhurat

Vat Savitri Vrat 2025 Kab Hai 26 ya 27 May 2025: जेठ का महीना चल रहा है। इस महीने सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे खास व्रत वट सावित्री व्रत भी आता है। यदि आप भी इसे लेकर कंफ्यूज हैं तो चलिए जानते हैं हिन्दू पंचांग के अनुसार 25 मई या 26 मई , कब है वट सावित्री व्रत, वट सावित्री व्रत की सही तिथि और मुहूर्त क्या है। इस दिन क्या करना चाहिए, क्या नहीं, जानते हैं पंडित राम गोविंद शास्त्री से।

Advertisment

वट सावित्री व्रत का महत्व

हिंदू संस्कृति में सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत खास माना जाता है। पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं ये व्रत करती हैं।

वट सावित्री व्रत कथा

हर साल की तरह ही इस साल भी वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा। इस व्रत के दिन महिलाएं सौलह श्रृंगार कर, हाथों में मेहंदी लगाकर पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखेंगी।

इस दिन पूरे विधि विधान के साथ पूरा करके वट सवित्री व्रत की कथा सुनी जाती है। यदि आप भी ये व्रत करने वाले हैं तो इसके लिए हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं वट सावित्री व्रत कथाएंं। जिन्हें आप आज ही अपने मोबाइल में सेव कर लें।

Advertisment

वट सावित्री व्रत का महत्व

ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन ही सावित्री ने सूझबूझ से अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर आई थी।

इन शहरों में वट सावित्री व्रत की ज्यादा मान्यता

यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड में इस व्रत की बहुत मान्यता है। यहां पर इसे ज्येष्ठ कृष्णपक्ष त्रयोदशी से अमावस्या यानी तीन दिन तक मनाने की परम्परा है। दक्षिण भारत में वट सावित्री व्रत (Vat Savirtri Vrat Date 2025) को पूर्णिमा के नाम से ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है।

इस दिन बड़ के पेड़ यानी बरगद के नीचे पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जिस तरह बड़ के पेड़ की दीर्घायु होती है इसी तरह महिलाओं के पति की उम्र भी लंबी होती है।

Advertisment

आयुर्वेद में वट वृक्ष का महत्व

हमारे आयुर्वेद में हर वक्ष की महत्ता बताई गई है। इसी तरह आयुर्वेद में वट वृक्ष को परिवार का वैद्य माना गया है। चलिए जानते हैं वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए कथा क्या है।

पुराणों में वर्णित सावित्री की कथा के अनुसार

राजा अश्वपति की अकेली संतान थी जिसका नाम सावित्री था। सावित्री ने राजा द्युमत्सेन के बेटे सत्यवान से विवाह किया था। लेकिन विवाह से राजा अश्वपति को नारद जी ने बताया था कि सत्यवान की आयु कम है, तो भी सावित्री अपने फैसले से पीछे नहीं गई। सावित्री सत्यवान के प्रेम में सभी राजसी वैभव त्याग कर उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगीं।

जिस दिन सत्यवान के महाप्रयाण का दिन था, उसी दिन सत्यवान लकड़ियां काटने के लिए जंगल गए थे। लेकिन वहां मूर्छित होकर वे नीचे गिर पड़े और उसी समय यमराज सत्यवान के प्राण लेने आ गए।

Advertisment

तीन दिन से उपवास में रह रही सावित्री उस घड़ी को जानती थीं, इसलिए बिना चिंता के वे यमराज से सत्यवान के प्राण वापस देने की प्रार्थना करती रहीं, पर लाख जतन के बावजूद भी यमराज माने नहीं।

इसके बाद सावित्री उनके पीछे-पीछे ही जाने लगीं। लाख बार मना करने बावजूद भी वह नहीं मानीं। इसके बाद सावित्री के त्याग और साहस को देखते हुए यमराज प्रसन्न हुए और कोई तीन वरदान मांगने को कहा।

सावित्री का पहला वरदान

इसके बाद सावित्री ने सबसे पहले सत्यवान के दृष्टिहीन माता-पिता के नेत्रों की ज्योति मांगी।

सावित्री का दूसरा वरदान

दूसरे वरदान में सावित्री ने यमराज से छिना हुआ राज्य मांगा।

तीसरा वरदान

सावित्री ने यमराज से तीसरे वरदान के रूप में अपने लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा।

इसके बाद तथास्तु कहने के बाद यमराज समझ गए कि सावित्री के पति को साथ ले जाना संभव नहीं है। इसलिए उन्होंने सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को छोड़कर वहां से अंतर्धान हो गए। उस समय सावित्री अपने पति को लेकर वट वृक्ष के नीचे ही बैठी थीं।

क्यों 16 धागों से ही बनती है माला

वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं कच्चे सूत के धागे को 16 बार लपेटकर उसकी माला बनाती हैं। जिसे 16 घंटे के लिए गले में पहनती हैं। साथ ही रक्षा सूत्र को वट वृक्ष पर 16 बार परिक्रमा करके लपेटती हैं। ऐसा करने से पति की आयु बढ़ती है।

वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त

अमावस तिथि प्रारंभ: 26 मई सुबह :10:43
अमावस तिथि समाप्ति: 27 मई सुबह :07:30

इस दिन है स्नान दान की अमावस

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री ने बताया हिन्दू पंचांग के अनुसार अमावस तिथि​ 26 मई सोमवार को सुबह 10:30 बजे से आएगी। व्रत अमावस से जुड़ा है इसलिए व्रत की अमावस 26 मई को होगी। इसकी अपेक्षा यदि आप दान पुण्य करना चाहते हैं तो अमावस तिथि 27 मई को होगी।

यह भी पढ़ें: Aaj ka Rashifal: मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करने से बनेंगे सिंह के काम, कन्या को मिलेगा अटका पैसा, तुला-वृश्चिक का हाल

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य सूचनाओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लें।

hindi news puja vidhi puja samagri Vrah Savitri Vrat 2025 var amasya kab hai 26 or 27 May kab hai vat amavasya vrat 2025 muhurat vrat katha
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें