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हाइलाइट्स
- काशी में कोडीन सिरप घोटाला उजागर, 102 फर्म जांच में
- 26 फर्मों के लाइसेंस रद्द, पूर्व अधिकारी भी संदिग्ध
- 100 करोड़ की अवैध कफ सिरप खरीद का बड़ा खुलासा
रिपोर्ट - अभिषेक सिंह
Varanasi Cough Syrup Scam: धर्म नगरी काशी में कोडीन युक्त कफ सिरप से जुड़े बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन (FSDA) की जांच में सामने आया है कि प्रतिबंधित कोडीन सिरप की खरीद-बिक्री में शहर की 102 दवा फर्में शामिल हैं। विभाग इन सभी फर्मों के दस्तावेज़ और खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड खंगाल रहा है। शुरुआती जांच में कई फर्मों में गंभीर अनियमितताएं मिली हैं।
विभाग के मुताबिक जिन 26 फर्मों के खिलाफ बीते शनिवार को कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था, उनके लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
काशी में कफ सिरप फर्जीवाड़ा: कैसे फूटा मामला?
FSDA की आयुक्त रोशन जैकब ने कोडीन युक्त सिरप की धांधली का भंडाफोड़ किया। इसके बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए 26 फर्मों के 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
जानकारी के अनुसार:
प्रतिबंधित कोडीन सिरप की फर्जी बिलिंग के लिए कई फर्मों का केवल कागज़ी पंजीकरण कराया गया था।
दवा स्टॉक रखने के लिए गोदाम तक मौजूद नहीं थे।
कई फर्मों के दफ्तरों में केवल एक कुर्सी और एक मेज मिली।
सत्यापन के दौरान दवाओं का स्टॉक तक नहीं मिला।
दो फर्म—डीएसए और महाकाल मेडिकल—का कार्यालय एक ही जगह चलता मिला।
100 करोड़ की कफ सिरप खरीद का खुलासा
फर्जीवाड़े में मुख्य भूमिका भोला प्रसाद जायसवाल और उसके बेटे शुभम जायसवाल की बताई जा रही है।
आरोप है कि:
भोला प्रसाद के नाम पर झारखंड की बंद फैक्ट्री से
100 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित कफ सिरप खरीद की गई थी।
शुभम जायसवाल का गिरोह इस सिरप की अवैध सप्लाई पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में फैला रहा था।
हिमाचल, उत्तराखंड और झारखंड की कंपनियों ने खोला राज
जांच तब गहराई तक पहुंची जब FSDA ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड की दवा निर्माण कंपनियों और ड्रग कंट्रोलर से जानकारी मांगी।
इन कंपनियों ने बताया कि:
काशी की 26 फर्मों ने कोडीन सिरप की
तीन लाख सीसी (3,00,000 CC) की डिमांड की थी।
यह मात्रा किसी भी सामान्य दवा कारोबार से कई गुना अधिक है।
इसके बाद विभाग ने 102 फर्मों की विस्तृत जांच शुरू की, जिसमें फिलहाल 76 फर्मों का सत्यापन जारी है।
पूर्व ड्रग अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका
सूत्रों के अनुसार, शुभम जायसवाल को गिरोह का "कप्तान" बनाने में FSDA के कुछ पूर्व अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
150 से अधिक स्टॉकिस्टों पर दबाव बनाकर फर्जी बिलिंग कराई जाती थी।
गोदाम में माल पहुंचने से पहले ही, दवा डिपो से सीधे शुभम के गोदाम तक कोडीन सिरप पहुंच जाता था।
शिवपुर थाना क्षेत्र में स्थित एक अपार्टमेंट में रुपये के लेन-देन की मीटिंग होती थी।
एक हिस्ट्रीशीटर को शुभम ने चार पहिया वाहन फाइनेंस कर दिया था, जिसके बदले उसने पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई सप्लायरों से संपर्क कराए।
इन 26 फर्मों के लाइसेंस होंगे निरस्त
जिन फर्मों के खिलाफ कार्रवाई तय है:
श्री आरएएस फार्मास्यूटिकल
जीडी इंटरप्राइजेज
न्यू पीएल फार्मा
सिंडिकेट इंटरप्राइजेज
जीआरएस मेडिकल एजेंसीज
दिनेश मेडिकल एजेंसी
शिल्पी फार्मा
श्री लोकेश फार्मा
खन्ना फार्मा
श्रीवर्षा मेडिकल एजेंसी
उर्मिला फार्मास्यूटिकल
जीटी इंटरप्राइजेज
हर्ष फार्मा
शिवम फार्मा
श्री एससी फार्मा
डीएसए फार्मा
देवनाथ फार्मेसी
आशा डिस्ट्रीब्यूटर्स
महाकाल मेडिकल स्टोर
निशांत फार्मा
हरिओम फार्मा
मां संकटा मेडिकल
अनविनय मेडिकल एजेंसी
श्री बालाजी मेडिकल
वीपीएम मेडिकल एजेंसी
जायसवाल मेडिकल्स
UP Teacher Recruitment 2025: 1262 शिक्षक भर्ती पदों के लिए आवेदन की तारीख बदली, अब 24 नवंबर से भर सकेंगे फॉर्म
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