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भारत की आजादी के बाद भी 2 साल तक भोपाल में नहीं फहराया गया तिरंगा: लौह पुरुष की वजह से पाक का हिस्सा बनने से रुकी रियासत

Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti: आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की 149वीं जयंती मनाई जा रही है। सरदार पटेल ने हमेशा देश की एकता को सबसे आगे रखा।

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Ujjwal Rai
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Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti: आज (31 अक्टूबर) सरदार वल्लभ भाई पटेल की 149वीं जयंती मनाई जा रही है। एकता की मिसाल कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti) ने हमेशा देश की एकता को सबसे आगे रखा। भारत के स्वंत्रता संग्राम में उनकी अहम भूमिका रही है।

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'भारत के लौह पुरुष' के नाम से मशहूर वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti) ने भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने एमपी के भोपाल को पाकिस्तान में मिलने से भी रोक लिया था। सरदार पटेल की जयंती पर आपको इस किस्से के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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भारत को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली थी। जब भारत की आजादी का ऐलान हुआ, तब भारतीय रियासतों (Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti)  की चिंता बढ़ गई। दरअसल, ब्रिटिश हुकूमत ने देश के बंटवारे का प्रस्ताव पास किया था। इस दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने ये विकल्प दिया था कि रियासतें भारत या पाकिस्तान में से किसी का भी हिस्सा बन सकती हैं, या फिर स्वतंत्र भी रह सकती हैं।

ऐसे में भोपाल के तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह खान ने स्वतंत्र रहने का फैसला किया। ऐसा भी माना जाता है कि वे पाकिस्तान के साथ मिलना चाहते थे। दरअसल, नवाब हमीदुल्लाह खान, नेहरू, अंग्रेजों के अलावा जिन्ना के भी खास थे। हालांकि, सरदार पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti)  ने ऐसा नहीं होने दिया।

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वहीं, जब भारत को आजाद करने का फैसला किया गया, तब निर्णय लिया गया कि पूरे देश में से राजकीय शासन हटा लिया जाएगा। ऐसे में भोपाल आजाद भारत का हिस्सा बन जाता, जो नवाब हमीदुल्लाह को मंजूर नहीं था।

नवाब को मिला पाक का सेक्रेटरी जनरल का पद!

नवाब हमीदुल्लाह खान

जिन्ना के करीब होने की वजह से नवाब हमीदुल्लाह को पाकिस्तान में सेक्रेटरी जनरल का पद का प्रस्ताव दिया गया था। इस दौरान नवाब ने अपनी बेटी आबिदा को भोपाल का शासक बन कर रियासत संभालने को कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इस वजह से नवाब हमीदुल्लाह को भोपाल (Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti)  में ही रहना पड़ा, लेकिन, वे आजाद भारत की सरकार के खिलाफ हो गए थे।

भोपाल में नहीं फहराया गया राष्ट्रीय ध्वज

इस दौरान भोपाल में दो साल तक राष्ट्रीय ध्वज भी नहीं फहराया गया। साल 1948 में नवाब हमीदुल्लाह ने भोपाल के स्वतंत्र रहने की घोषणा की। कुछ महीने बाद नवाब ने भोपाल सरकार का एक मंत्रीमंडल घोषित कर दिया। इसी दौरान भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti) बने। उन्होंने नवाब को सख्त संदेश भेज कर साफ कर दिया कि भोपाल, भारत का हिस्सा ही रहेगा।

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इसके विरोध में नवाब हमीदुल्लाह ने 1949 में मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर सत्ता के सारे अधिकार अपने हाथ में ले लिए और 3 महीनों तक जमकर आंदोलन किया। हालांकि, सरदार वल्लभ भाई पटेल के आगे उनकी एक नहीं चल सकती। आखिर में नवाब ने हार मान ली। नवाब ने 30 अप्रैल 1949 को विलीनीकरण के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद 1 जून 1949 को भोपाल रियासत भारत का हिस्सा बन गई।

उसके बाद चीफ कमिश्नर एनबी बैनर्जी ने भोपाल का कार्यभार संभाल लिया और नवाब को 11 लाख सालाना का प्रिवीपर्स तय कर सत्ता के सभी अधिकार उनसे ले लिए।

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