उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के कारण उसके अंदर पिछले 130 घंटे से अधिक समय से फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए ‘एस्केप टनल’ बनाने के लिये नयी और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन ने शुक्रवार को मलबे को 24 मीटर तक भेद दिया। सुरंग में बचाव अभियान के लिए अमेरिकी मशीन के समान उपकरण इंदौर से ‘बैकअप’ के रूप में मंगाए जा रहे हैं।
बचाव कार्य में आ रही बाधा
राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के एक अधिकारी ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि अमेरिकी मशीन में तकनीकी समस्याओं के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इंदौर से मशीन केवल ‘बैकअप’ के लिए मंगाई जा रही है।
निदेशक खाल्को ने कही बात
एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने कहा कि मलबे में ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गए हैं जबकि पांचवें पाइप को डालने की कार्रवाई जारी हैं। उन्होंने बताया कि चौथे पाइप का अंतिम दो मीटर हिस्सा बाहर रखा गया है जिससे पांचवें पाइप को ठीक तरह से जोड़कर उसे अंदर डाला जा सके । यह पूछे जाने पर कि मशीन प्रति घंटा चार—पांच मीटर मलबे को भेदने की अपनी अपेक्षित गति क्यों नहीं हासिल कर पाई, उन्होंने कहा कि पाइपों को डालने से पहले उनका संरेखण करने तथा जोड़ने में समय लगता है।
#WATCH | Uttarakhand: Uttarkashi tunnel rescue | Morning visuals from the spot; relief and rescue work halted at Silkyara Tunnel
Speaking to ANI Anshu Manish Khulko, Director of the tunnel-making company NHIDCL, said that at present the drilling work in the tunnel has stopped.… pic.twitter.com/ZhNAsdAtRX
— ANI (@ANI) November 18, 2023
ड्रिलिंग मशीन की गति धीमी
खाल्को ने यह भी दावा किया कि डीजल से चलने के कारण ड्रिलिंग मशीन की गति भी धीमी है । उन्होंने कहा कि बीच-बीच में ड्रिलिंग को रोकना भी पड़ता है क्योंकि भारी मशीन में कंपन होने से मलबा गिरने का खतरा हो सकता है । खाल्को ने कहा, ‘‘हम एक रणनीति से काम कर रहे हैं लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि बीच में कुछ गलत न हो जाए।’’
उन्होंने कहा कि ‘बैक अप’ योजना के तहत इंदौर से हवाई रास्ते से एक और ऑगर मशीन मौके पर लाई जा रही है जिससे बचाव अभियान निर्बाध रूप से चलता रहे। इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने तथा मशीन में तकनीकी समस्या आने के कारण काम को बीच में रोकना पड़ा था।
श्रमिकों को पहुंचाई जा रही है खाद्य सामग्री
इसके बाद भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गयी जिससे बृहस्पतिवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गयी। मौके पर बचाव कार्यों की निगरानी कर रह एक विशेषज्ञ आदेश जैन ने बताया कि अमेरिकी ऑगर मशीन को बचाव कार्यों की गति तेज करने के लिए मंगाया गया।
उन्होंने कहा कि पुरानी मशीन की भेदन क्षमता मलबे को 45 मीटर भेदने की थी जबकि ऊपर से लगातार मलबा गिरने के कारण वह 70 मीटर तक फैल गया है । इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है।
आईएएस अधिकारी ने दी जानकारी
उन्होंने कहा कि श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है। इस बीच, झारखंड सरकार की एक टीम अपने श्रमिकों से कुशलक्षेम जानने के लिए मौके पर पहुंची।
आईएएस अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में पहुंची तीन सदस्यीय टीम ने झारखंड के मजदूर विश्वजीत एवं सुबोध से पाइप के जरिए बातचीत कर उनका हालचाल लिया । इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए सिंह ने केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार द्वारा बचाव एवं राहत के लिए चलाए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि प्रशासनिक स्तर पर इस हादसे के प्रबंधन और बचाव कार्य हेतु मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं।
अस्पताल में बैड किए तैयार
उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है।उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उनकी तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके। चारधाम परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था जिसके बाद से उसमें फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
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