नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) प्रौद्योगिकी विकास क्षमताओं का विस्तार करने के लिये शोध व विकास (आरएंडडी) में निवेश को बढ़ाना और भारत के आईटी उद्योग की क्षमताओं का उपयोग करना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिये महत्वपूर्ण है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन पीडी वाघेला ने मंगलवार को यह टिप्पणी की।
वाघेला ने 15वें भारत डिजिटल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए तेज प्रगति तथा दूरसंचार क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये आवश्यक कदमों को गिनाया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें शोध एवं विकास में निवेश बढ़ाने की जरूरत है। यह बहुत महत्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिये हमें प्रौद्योगिकी के उपभोक्ता के बजाय उत्पादक बनना होगा।’’
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी विकास क्षमताओं को बेहतर बनाने और इनका विस्तार करने के लिये संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र में निवेश किये जाने की आवश्यकता है, जिसमें अनुसंधान, नवाचार, मानकीकरण, उत्पाद विकास, परीक्षण और प्रमाणन शामिल हैं।
इसके लिये मौजूदा प्रथाओं व नीतियों में पूर्ण बदलाव तथा उद्योग व अकादमिक जगत का आपसी संपर्क बनाने की आवश्यकता है।
वाघेला ने कहा, ‘‘वाणिज्यिक अनुसंधान नवाचारों के मानकीकरण और उत्पाद विकास को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इस तरह के नवाचार विकासशील देशों की आवश्यकता को सबसे प्रभावी तरीके से पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और यह भारत के लिये ऐसे उत्पादों के विशाल बाजार खोल देगा।’’
वाघेला ने कहा कि भारत के आईटी उद्योग की क्षमता का लाभ सॉफ्टवेयर उत्पादों के निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिये किया जा सकता है, जो भारतीय और वैश्विक दूरसंचार उद्योग को उचित मूल्य पर सेवा प्रदान कर सकते हैं।
ट्राई चेयरमैन ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि प्रौद्योगिकी के विकास तथा उत्पादों और सेवाओं की डिजाइनिंग में सबसे अधिक मूल्यवर्धन है।’’
उन्होंने कहा कि समाज के लाभ के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी के विकास तथा डिजिटल नवाचार को प्रोत्साहन प्रदान करने में सरकार व नियामक एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
भाषा सुमन मनोहर
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