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अमेरिकी खुफिया एजेंसी का दावा, चीन ने जैविक हथियार के लिए बनाया था कोरोना वायरस, जानिए क्या है ये हथियार

अमेरिकी खुफिया एजेंसी का दावा, चीन ने जैविक हथियार के लिए बनाया था कोरोना वायरस, जानिए क्या है ये हथियारUS intelligence agency claims, China has created coronavirus for biological weapons, know what this weapon nkp

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Bansal Digital Desk
अमेरिकी खुफिया एजेंसी का दावा, चीन ने जैविक हथियार के लिए बनाया था कोरोना वायरस, जानिए क्या है ये हथियार

नई दिल्ली। कोरोनावायरस को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। अमेरिका ने इस वायरस को चीन का जैविक हथियार बताया है और कहा कि कोरोना के जरिए चीन अभी भी जैविक युद्ध की टेस्टिंग कर रहा है। पीएलए से जुड़े हुए वैज्ञानिको ने कहा कि जिस महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। दरअसल में वो एक जैविक हथियार है और इसके कारण दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है। ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर जैविक हथियार क्या होता है।

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पहले भी जैविक हथियार का इस्तेमाल किया गया है

अमेरिकी खुफिया एजेंसी के भूचाल लाने वाले खुलासे के बाद, लोग जैविक हथियार के बारे में जानना चाहते हैं। बतादें कि जैविक हथियार के तौर पर कई देश सूक्ष्मजीव जैसे वायरस, बैक्टीरिया, फंगी या किसी जहर का इस्तेमाल लोगों, पशुओं या पेड़ पौधों को नष्ट करने के लिए करते हैं। दुनिया में पहले भी रासायनिक और जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया गया है।

दुनिया को 1925 में ही हो गया था जैविक हथियार का आभास

जैविक हथियार के खतरे का आभास दुनिया को 1925 में ही हो गया था। लेकिन इसे रोकने के लिए 1975 से कोशिशें शुरू की गई। लेकिन ये रुक नहीं सका और 1980 के दशक में इराक ने मस्टर्ड गैस, सरिन (sarin) और ताबुन (tabun) का इस्तेमाल इरान के खिलाफ किया। इसके बाद टोक्यो सबवे सिस्टम में सरिन नर्व गैस हमले ने हजारों को घायल कर दिया और अनेकों मौतें हुई।

शीतयुद्ध के बाद ऐसे हथियार के इस्तेमाल में कमी आई

हालांकि शीतयुद्ध के बाद ऐसे हथियार के इस्तेमाल में कमी आई, लेकिन 9/11 हमले के बाद एक बार फिर जैविक हथियारों के इस्तेमाल की आहट सुनाई दी और वो थी एंथ्रेक्स पाउडर के साथ पत्र (Anthrax letters)। 2002 में अमेरिका इसका शिकार बना, जब एंथ्रेक्स नामक बैक्टीरिया वाली चिट्ठियां लोगों को संक्रमित करने लगी थीं।

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चीन ने क्या कहा ?

गौरतलब है कि अब तक इसके इस्तेमाल पर रोक के लिए वैश्विक स्तर पर अनेकों सम्मेलन हुए, लेकिन फिर भी कई देश इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। वहीं चीन पर लगे आरोपों के बाद उसने सफाई भी दी है और कहा कि चीन ऐसा कुछ नहीं कर रहा। अमेरिका उसके खिलाफ साजिश रच रहा है और तथ्यों को गलत तरीके से प्रयोग किाय जा रहा है।

अमेरिका का दावा

वहीं अमेरिका का दावा है कि उसके विदेश मंत्रालय को चीन के सैन्य विज्ञानियों और चिकित्सा अधिकारियों का लिखा हुआ दस्तावेज मिला है। इसके मुताबिक, 2015 में चीन के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को जैविक हथियार के रूप में विकसित करने पर विचार करना शुरू कर दिया था। इसी का नतीजा है कि आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस एक महामारी का रूप ले चुका है।

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