रिपोर्ट-वाराणसी से अभिषेक सिंह
Varansi Anganwadi Farjiwada News: वाराणसी में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पद पर नियुक्ति पाने का खेल सामने आया है। यह खुलासा तब हुआ जब नियुक्ति में धांधली को लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारी को शिकायती पत्र प्राप्त हुए थे।
शिकायत पत्र के आधार पर जिला कार्यक्रम अधिकारी की ओर से उपजिलाधिकारी को जांच कर आख्या के लिए सम्बन्धित तहसील से पत्राचार किया गया था। जिला कार्यक्रम अधिकारी को तहसील सदर से 7 और तहसील पिंडरा से 2 समेत जिले से कुल 9 शिकायत पत्र प्राप्त हुए थे।
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति पाने वाली तीन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के चयन का निरस्त किया गया। फिलहाल तीनों आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की जिला कार्यक्रम अधिकारी की ओर से नोटिस जारी किया जा रहा है।
7 प्रमाण पत्रों की जांच पूरी,2 की अब भी बाकी
जिले में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की नियुक्ति के बाद से ही सवाल उठने लगे थे इसके बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी को तहसील सदर से 7 शिकायत पत्र और तहसील पिंडरा से 2 शिकायत पत्र मिला था जिसके बाद तहसील सदर से प्रमाण पत्रों की जांच कराई जिसमे दो अभ्यर्थियों के निवास प्रमाण पत्र और एक अभ्यर्थी की आय प्रमाण पत्र फर्जी पाई गयी। इसके अलावा तहसील पिंडरा से आये 2 शिकायत पत्रों की जांच आख्या आना अब भी बाकी है।
199 पद पर मांगे गए थे आवेदन
वाराणसी जिले के आठ विकासखण्डो और नगर निगम सीमा क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की 199 पद के लिए 10,689 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इसके बाद विभाग की ओर से स्क्रीनिंग के माध्यम से 199 पद के सापेक्ष 194 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की नियुक्ति की गई थी,जबकि 5 पदों पर योग्य उम्मीदवार न मिलने के कारण खाली छोड़ दिया गया था।
उपमुख्यमंत्री ने दिया था नियुक्ति प्रमाण पत्र
जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को नियुक्ति पत्र उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री के हाथों दिया गया था। 194 चयनित कार्यकत्रियों में से सांकेतिक तौर पर 10 चयनित आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को उपमुख्यमंत्री ने अपने हाथों से प्रमाण पत्र देकर उज्जवल भविष्य की कामना भी की थी।
तहसीलकर्मियो के मिलीभगत से हुआ फर्जीवाड़ा
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पद पर नियुक्ति के पीछे तहसीलकर्मियो का प्रमुख योगदान रहा। आय,जाति और निवास प्रमाण पत्र निर्गत करने से पहले तहसीलकर्मियों की ओर से पूरी जांच करने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद भी तीन ऐसे प्रमाण पत्र जारी किए गए जो पूरी तरह से फर्जी साबित हुए।