हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा यूपी स्कूल विलय का मामला
- 10827 स्कूल बंदी पर शिक्षा अधिकारों की बहस
- अखिलेश बोले- फैसले से बालिकाओं की शिक्षा बाधित
UP School Merger Case: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 10827 कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी स्कूलों को बंद कर उन्हें दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ताओं ने इस निर्णय को संविधान के अनुच्छेद 21ए और मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE), 2009 का उल्लंघन बताया है।
याचिकाकर्ता तैय्यब खान सलमानी द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से बच्चों को अब स्कूल जाने के लिए 1 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलना पड़ेगा, जिससे गरीब और विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक नीति के तहत यह निर्णय लिया है कि राज्य के 1.3 लाख प्राइमरी स्कूलों में से 10827 ऐसे विद्यालय, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है, उन्हें आसपास के स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा।
राज्य सरकार का तर्क:
संसाधनों का बेहतर उपयोग
शिक्षकों की उपलब्धता में सुधार
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना
लेकिन इस निर्णय के खिलाफ शिक्षा अधिकार कार्यकर्ताओं (education rights activists) और सामाजिक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही याचिका को खारिज कर चुका है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सहमति मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को माना ज़रूरी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मामले को इस सप्ताह सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई है। हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत ने यह टिप्पणी भी की कि यह नीतिगत मामला है, लेकिन चूंकि इससे सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं, तो न्यायालय सुनवाई के लिए तैयार है।
अखिलेश यादव ने सरकार पर लगाया गंभीर आरोप
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि “भाजपा सरकार गरीबों को शिक्षा से वंचित करने का प्रयास कर रही है।” उन्होंने कहा कि बालिकाओं को दूर-दराज स्कूल भेजना मुश्किल होगा और इससे लड़कियों की शिक्षा पर सबसे अधिक असर पड़ेगा।
अखिलेश ने आगे कहा कि “भाजपा प्रचार पर अरबों रुपये खर्च करती है लेकिन स्कूलों पर नहीं। समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर हम शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।”
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