हाइलाइट्स
- कैबिनेट में नहीं उठी शिक्षामित्रों की मानदेय बढ़ाने की बात
- कम से कम 40 हजार हो मानदेय
- शिक्षामित्रों के लिए 62 साल की बनाई जाए नियमावली
UP Samvida Shiksha Mitra Honorarium: उत्तर प्रदेश में संविदा कर्मचारियों के बाद शिक्षामित्रों ने अपने मानदेय को बढ़ाने को लेकर कई सालों से अपनी बात को शिक्षामित्र सरकार के सामने रखते आ रहे हैं। मगर मंगलवार 2 सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में शिक्षामित्रों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, पिछले दिनों शिक्षा मित्रों के प्रतिनिधि ने प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी तो सीएम ने कहा है शिक्षा मित्रों के बारे में सोचा जा रहा है। इसके साथ ही शिक्षामित्रों की मूल विद्यालय में वापसी की भी प्रक्रिया की शुरूआत नहीं हुई है।
शिक्षामित्रों का मानदेय कई सालों लंबित
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत करीब 2 लाख से अधिक शिक्षामित्रों का मानदेय कई सालों लंबित है, जिसमें न के बराबर बढ़ोतरी हुई है। अभी फिलहाल में शिक्षामित्रों का मानदेय 10,000 है चाहे वो शहरी क्षेत्र में हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र का हो। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिक्षामित्र 10 हजार में अपने परिवार का भरण कैसे करेगा। कई बार शिक्षामित्रों ने सरकार और अधिकारियों को आवेदन दिया है मगर सरकार की तरफ से किसी प्रकार का कोई पॉजिटिव आश्वासन नहीं मिला है।
कम से 40 हजार होना चाहिए मानदेय
इस पूरे मामले पर शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री उमेश पांडे ने जानकारी देकर बताया कि हमने कई बार सीएम योगी, समेत डीप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तक से मुलाकात की है पर उनके तरफ़ से कोई सकारात्मक रूझान नहीं मिला है। उमेश पांडे एक प्रकार का संगठन चलाते हैं जो कि शिक्षामित्रों के लिए काम करती है (आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर) उनकी मांग है कि शिक्षामित्रों के लिए अलग से नियमावली बनाई जाए जो कि 62 साल की एक अलग से नियमावली हो, और जो वर्तमान में जो शिक्षामित्रों के मानदेय को 10, हजार से बढ़ाकर 40,हजार किया जाए।