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Sambhal Committee Report: संभल मस्जिद- मंदिर विवाद पर बड़ा खुलासा, दंगों-डेमोग्राफी पर सनसनीखेज रिपोर्ट CM योगी को सौंपी

Sambhal Committee Report: उत्तर प्रदेश के संभल दंगों पर बनी Sambhal Committee Report 2025 ने बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट में जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद, दंगों के इतिहास और डेमोग्राफी बदलने जैसे सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं

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Shaurya Verma
UP Sambhal Committee Report jama masjid harihar mandir CM yogi Adityanath hindi news zxc

हाइलाइट्स

  • संभल रिपोर्ट में जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद खुलासा
  • 1947 से अब तक 15 बड़े दंगे, हिंदू आबादी घटी
  • रिपोर्ट में आतंकी संगठनों की सक्रियता दर्ज
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Sambhal Committee Report:  उत्तर प्रदेश के संभल जिले में नवंबर 2024 में हुई हिंसा की जांच रिपोर्ट ने सनसनी मचा दी है। Sambhal Committee Report गुरुवार, 28 अगस्त 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई। यह 450 पन्नों की रिपोर्ट न केवल संभल दंगा 2024 पर आधारित है, बल्कि आजादी के बाद से अब तक की जनसांख्यिकी (Demography) और सांप्रदायिक तनाव के इतिहास को भी उजागर करती है।

रिपोर्ट के अनुसार शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद में ऐतिहासिक साक्ष्य सामने आए हैं, साथ ही आतंकवादी संगठनों की सक्रियता पर भी गंभीर तथ्य दर्ज किए गए हैं।

संभल कमेटी रिपोर्ट में क्या है?

न्यायिक आयोग की इस Sambhal Committee Report में कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं।

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आबादी का असंतुलन: 1947 में संभल में 55% मुस्लिम और 45% हिंदू थे। वर्तमान में 85% मुस्लिम और मात्र 15-20% हिंदू बचे हैं।

दंगों का इतिहास: 1947 से 2019 तक कुल 15 बड़े दंगे संभल में हुए। हर बार हिंदू समुदाय को अधिक नुकसान उठाना पड़ा।

हरिहर मंदिर के साक्ष्य: रिपोर्ट में कहा गया है कि संभल जामा मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर का अस्तित्व था।

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आतंकी संगठनों की सक्रियता: रिपोर्ट के अनुसार संभल में अलकायदा और हरकत उल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं।

हथियार और नशे का कारोबार: रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया कि संभल में अवैध हथियार और नशे का धंधा तेजी से बढ़ रहा है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

भाजपा (BJP) की प्रतिक्रिया 

[caption id="attachment_885228" align="alignnone" width="1041"]UP Sambhal Committee Report jama masjid harihar mandir CM yogi Adityanath hindi news zxc (1) भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी[/caption]

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भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “संभल रिपोर्ट से सच सामने आया है। देशभर में जनसंख्या असंतुलन के प्रयास हो रहे हैं। जहां भी सुरक्षा का अभाव होता है, वहां पलायन होता है और डेमोग्राफी बदल जाती है।”

समाजवादी पार्टी (SP) की प्रतिक्रिया 

[caption id="" align="alignnone" width="1043"]publive-image समाजवादी पार्टी प्रवक्ता फ़खरुल हसन चांद[/caption]

समाजवादी पार्टी प्रवक्ता फ़खरुल हसन चांद ने रिपोर्ट को सिर्फ ध्यान भटकाने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार मुद्दों से भटकाने के लिए गोपनीय रिपोर्ट का नाटक करती है। सूचना विभाग यह तय करता है कि मीडिया में क्या चलाना है और क्या नहीं।”

सरकार ने क्या बयान दिया

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने कहा, “संभल की घटना पर गठित न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अध्ययन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

आयोग में कौन थे शामिल?

संभल दंगा 2024 की जांच के लिए गठित आयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, रिटायर्ड IAS अमित मोहन और रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन शामिल थे।

क्यों अहम है Sambhal Committee Report?

आजादी के समय से लेकर अब तक संभल में 15 बड़े दंगे हो चुके हैं।

डेमोग्राफिक बदलाव से हिंदू आबादी 45% से घटकर 15% रह गई है।

हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व का दावा रिपोर्ट में दर्ज है।

आतंकी संगठनों और अवैध कारोबार पर गंभीर तथ्य उजागर हुए हैं।

यह रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपी जा चुकी है और आगे की कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

संभल में कब-कब हुए दंगे

संभल में 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001, 2019 में दंगे हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार आजादी के बाद से कुल 15 दंगे संभल में हुए।

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उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद परिसर के समीप एक विवादित कुएं को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 29 अप्रैल को मस्जिद प्रबंधन समिति को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश उस वस्तु स्थिति रिपोर्ट के संदर्भ में दिया गया है जिसमें कहा गया है कि विवादित कुआं मस्जिद से “पूरी तरह बाहर” स्थित है।

संभल मंदिर-मस्जिद विवाद

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश को दोहराते हुए मामले की अगली सुनवाई तक किसी भी पक्ष को कोई भी नया कदम न उठाने की हिदायत दी है। मस्जिद कमेटी के वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने समिति के अध्यक्ष ज़फ़र अली के जेल में होने का हवाला देते हुए तीन सप्ताह का समय मांगा, जिसे पीठ ने अस्वीकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “कोई और भी जवाब दाखिल कर सकता है, कृपया इसे दो सप्ताह में ही करें।”

विवाद की पृष्ठभूमि

मामले की शुरुआत उस समय हुई जब संभल जिला प्रशासन ने शहर के पुराने मंदिरों और कुओं के जीर्णोद्धार का अभियान चलाया। मस्जिद कमेटी का आरोप है कि प्रशासन ने जिन 19 कुओं को धार्मिक उद्देश्यों के लिए चिह्नित किया है, उनमें से एक कुआं मस्जिद परिसर के निकट स्थित है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह कुआं आंशिक रूप से मस्जिद परिसर के भीतर और आंशिक रूप से बाहर है, और ऐतिहासिक रूप से इसका उपयोग मस्जिद में पानी की आपूर्ति के लिए होता रहा है।

सर्वेक्षण और हिंसा

संभल के सिविल जज द्वारा 19 नवंबर 2024 को मस्जिद का सर्वेक्षण करने के आदेश दिए गए थे। जिसे मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मस्जिद कमेटी का आरोप है कि यह आदेश एक ही दिन में याचिका पर बिना सुनवाई के पारित किया गया। इसके विरोध में 24 नवंबर को इलाके में हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। इस हिंसा के सिलसिले में मस्जिद समिति के अध्यक्ष ज़फर अली को गिरफ्तार किया गया।

हिंदू और मुस्लिम पक्षों के तर्क

हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि कुआं मस्जिद से बाहर है और यह हमेशा से धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल होता रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह स्थल ‘हरि मंदिर’ नहीं बल्कि मस्जिद का एक अभिन्न हिस्सा है और इसका ऐतिहासिक महत्त्व है।

बात पते की

Sambhal Committee Report 2025 ने यह साफ कर दिया है कि संभल में सिर्फ एक दंगा नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रही जनसांख्यिकीय और धार्मिक राजनीति का असर देखने को मिला है। शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद, आबादी का असंतुलन, और आतंकी गतिविधियाँ रिपोर्ट के मुख्य बिंदु हैं। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस रिपोर्ट पर आगे क्या कदम उठाते हैं।

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