हाइसाइट्स
- यूपी पुलिस में गिरफ्तारी के नियमों में बड़ा बदलाव
- गिरफ्तारी मेमो में अब कारण और दो गवाह अनिवार्य
- IIF-III फॉर्म से गिरफ्तारी प्रक्रिया होगी डिजिटल
रिपोर्ट – आलोक राय
UP Police New Arrest Rules: उत्तर प्रदेश पुलिस में अब गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और जवाबदेह होगी। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्णा ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए CBI और ED जैसी जांच एजेंसियों की प्रक्रिया को अपनाने का निर्देश दिया है। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दिशा-निर्देशों के बाद लिया गया है।
गिरफ्तारी के नियमों में क्या होंगे बड़े बदलाव? (UP Police New Arrest Rules)
अब यूपी पुलिस गिरफ्तारी के समय कारण स्पष्ट रूप से बताएगी।
एक नामित अधिकारी की जिम्मेदारी तय होगी, जो गिरफ्तारी के लिए जवाबदेह होगा।
गिरफ्तारी मेमो में कारण स्पष्ट होगा और उस पर दो स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे।
बरामद वस्तुएं स्पष्ट रूप से दर्ज की जाएंगी और संबंधित विवरण कंट्रोल रूम में तुरंत अपडेट किया जाएगा।
प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी (Nodal Officer) नियुक्त किया जाएगा जो इस प्रक्रिया की निगरानी करेगा।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों पर आधारित
उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय से जारी परिपत्र संख्या 2.5/2025 के अनुसार, गिरफ्तारी प्रक्रिया में CrPC की धारा 50 और 50A तथा BNSS 2023 की धारा 47 और 48 का पूर्ण अनुपालन किया जाएगा।
धारा 47 – गिरफ्तारी का कारण और ज़मानत का अधिकार
बिना वारंट गिरफ्तारी की स्थिति में व्यक्ति को तुरंत कारण बताना होगा।
यदि गिरफ्तारी नॉन-बेलेबल अपराध (Non Bailable Crime) में नहीं है, तो ज़मानत की जानकारी दी जाएगी।
धारा 48 – सूचना देने की बाध्यता
गिरफ्तार व्यक्ति के रिश्तेदार, मित्र या नामित व्यक्ति को गिरफ्तारी और स्थान की सूचना दी जाएगी।
संबंधित पुलिस स्टेशन के रजिस्टर में इस सूचना की प्रविष्टि की जाएगी।
मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेगा कि इन प्रावधानों का पालन किया गया है।
अब IIF-III फॉर्म से गिरफ्तारी विवरण
सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर के अंतर्गत अब IIF-III फॉर्म संख्या 6 का उपयोग किया जाएगा, जिसे गिरफ्तारी के बाद अपडेट कर सिस्टम में जनरेट किया जाएगा। इससे पूरे राज्य में गिरफ्तारी की प्रक्रिया का डिजिटलीकरण होगा और किसी भी तरह की मनमानी को रोका जा सकेगा।
हाईकोर्ट ने क्यों जताई थी नाराज़गी?
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने क्रिमिनल मिस. रिट पिटीशन संख्या 934/2025 – मंजीत सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में गिरफ्तारी प्रक्रिया में CrPC और BNSS के प्रावधानों के उल्लंघन पर नाराज़गी जताई थी। कोर्ट ने पाया कि गिरफ्तारी मेमो में गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया, और न्यायिक रिमांड के समय विधिक सहायता का भी प्रयास नहीं किया गया। परिणामस्वरूप कोर्ट ने गिरफ्तारी को अवैध घोषित कर दिया।
CBI-ED स्टाइल में काम करेगी अब यूपी पुलिस
इस नए दिशा-निर्देश के तहत अब उत्तर प्रदेश पुलिस CBI और ED की तरह प्रोफेशनल और ट्रांसपेरेंट तरीकों से गिरफ्तारी करेगी। इससे आम जनता में पुलिस की छवि में सुधार होगा और नागरिक अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित होगी
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