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मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड: सुप्रीम कोर्ट ने कहा – "पीड़ित छात्र की पढ़ाई का खर्च उठाएगी उत्तर प्रदेश सरकार"

Muzaffarnagar Student Slapping Case: सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर छात्र थप्पड़ कांड में उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़ित बच्चे की पूरी शिक्षा का खर्च उठाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह जिम्मेदारी राज्य की है, धर्मार्थ संस्थाएं केवल सहायक भूमिका निभा सकती हैं।

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Bansal news
UP Muzaffarnagar Student Slapping Case News supreme ask up govt bear educational expenses

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की शिक्षा का खर्च यूपी सरकार पर डाला
  • धर्मार्थ संस्थाएं मदद करें, पर जिम्मेदारी राज्य की: कोर्ट
  • सभी स्कूलों में शिकायत निवारण तंत्र की जानकारी दें: सुप्रीम कोर्ट
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Muzaffarnagar Student Slapping Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के मुजफ्फरनगर छात्र थप्पड़ कांड को लेकर एक बार फिर स्पष्ट किया है कि पीड़ित नाबालिग छात्र की शिक्षा से जुड़ा पूरा खर्च उत्तर प्रदेश सरकार को वहन करना होगा। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह बच्चे की स्कूली शिक्षा पूरी होने तक ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन शुल्क सहित सभी खर्चों का जिम्मा ले।

जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ ने यह निर्देश कार्यकर्ता तुषार गांधी की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। यह याचिका उस वायरल वीडियो के बाद दाखिल की गई थी, जिसमें एक स्कूल शिक्षिका तृप्ता त्यागी को कक्षा के अन्य बच्चों को एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का निर्देश देते हुए और उसके धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए देखा गया था।

धर्मार्थ संगठनों की मदद संभव

सुनवाई के दौरान अदालत ने साफ किया कि किसी भी धर्मार्थ ट्रस्ट या संस्था की सहायता केवल सहयोगात्मक हो सकती है, लेकिन अंतिम और प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही है। कोर्ट ने कहा, "अगर ट्रस्ट या संस्था खर्च नहीं उठाते, तो राज्य को भुगतान करना ही होगा।"

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याचिकाकर्ता ने जताई चिंता

पीड़ित छात्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने बताया कि अभी तक पिछली टर्म की ट्यूशन फीस, यूनिफॉर्म का खर्च और परिवहन शुल्क समय पर नहीं चुकाया गया है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि भविष्य में भुगतान सीधे स्कूल को किया जाए, न कि छात्र या उसके पिता के माध्यम से, क्योंकि किसान परिवार के लिए बार-बार धन जुटाना मुश्किल और अपमानजनक स्थिति बन रहा है।

राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने जवाब में कहा कि एक धर्मार्थ ट्रस्ट ने कपड़े मुहैया कराए हैं और चालू वर्ष की फीस सीधे स्कूल को दी जाएगी। इस पर कोर्ट ने दोहराया कि भविष्य में भी यदि ट्रस्ट पीछे हटे, तो राज्य सरकार ही जिम्मेदार होगी।

RTE कानून को लेकर भी कोर्ट सख्त

अदालत ने यह भी कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act), 2009 के तहत बच्चों को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न से सुरक्षा मिलनी चाहिए। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों में शिकायत निवारण तंत्र की जानकारी पहुंचाए और अभिभावकों को भी इसके बारे में अवगत कराए।

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इससे पहले 12 दिसंबर 2024 को कोर्ट ने स्कूलों में समानता, धर्मनिरपेक्षता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे।

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