हाइलाइट्स
- 4000 साल पुराना मानसून मंदिर करता है बारिश की भविष्यवाणी
- गुंबद के पत्थर से टपकती बूंदें बताती हैं मानसून का हाल
- वैज्ञानिक भी रह गए हैरान, मंदिर बना शोध का विषय
रिपोर्ट- अनुराग श्रीवास्तव
Kanpur Lord Jagannath Temple Behta Bujurg mandir: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर इन दिनों बारिश की सटीक भविष्यवाणी को लेकर सुर्खियों में है। कानपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर घाटमपुर तहसील के बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर, जिसे स्थानीय लोग “मानसून मंदिर” के नाम से जानते हैं, मानसून के आगमन से पहले बूंदों के माध्यम से बारिश की सटीक जानकारी देने के लिए प्रसिद्ध है।
4000 साल पुराना मंदिर
मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 4000 साल पुराना है और इसकी वास्तुकला सांची के बौद्ध स्तूप से मिलती-जुलती है। मंदिर का गोलाकार गुंबद, 14 फीट मोटी दीवारें, और 12 खंभों पर खड़ा विशाल ढांचा इसे ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काले पत्थर से बनी दुर्लभ मूर्तियां विराजमान हैं।
बूंदों से होती है बारिश की भविष्यवाणी
मंदिर के गुंबद में स्थापित एक रहस्यमयी पत्थर ही इस चमत्कार का केंद्र है। यह पत्थर सालभर सूखा रहता है, लेकिन मानसून आने के 7 से 20 दिन पहले इसमें नमी आनी शुरू हो जाती है और फिर इससे पानी की बूंदें टपकने लगती हैं।
मंदिर के महंत केपी शुक्ला बताते हैं, “यदि पत्थर हल्का नम हो तो कम बारिश होती है, स्पष्ट बूंदें सामान्य वर्षा का संकेत देती हैं, और यदि बूंदें मोटी और लगातार गिरें तो भारी बारिश निश्चित होती है।” इस वर्ष भी पत्थर से बड़ी और स्पष्ट बूंदें टपक रही हैं, जिससे अच्छी बारिश की संभावना जताई जा रही है।
वैज्ञानिक भी हैरान
चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Chandra Shekhar Azad University of Agriculture & Technology) के मौसम वैज्ञानिक प्रो. एस.एन. सुनील पांडेय और उनकी टीम पिछले तीन वर्षों से इस मंदिर और पत्थर की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे हैं। उनका कहना है: “शायद पत्थर में मौसम के बदलाव से नमी इकट्ठी होती है, लेकिन इसकी सटीक प्रक्रिया विज्ञान की पकड़ से बाहर है।”
यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि वैज्ञानिक शोध का भी विषय बन चुका है।
किसानों के लिए वरदान मानसून मंदिर
स्थानीय किसान इस मंदिर की बूंदों को देखकर फसलों की बुआई और कटाई की योजना बनाते हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला के अनुसार, “इस साल पत्थर पूरी तरह भीगा हुआ है और बूंदें तेजी से गिर रही हैं, जो अच्छी फसल के संकेत हैं।”
धार्मिक आस्था और पर्यटन का केंद्र
मंदिर परिसर में स्थित राम कुंड तालाब भी विशेष धार्मिक महत्व रखता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका विजय के बाद यहां आकर अपने पिता का पिंडदान किया था। हालांकि, मंदिर और तालाब की स्थिति वर्तमान में जर्जर हो चुकी है और सरकार व पुरातत्व विभाग से इसके संरक्षण की मांग उठ रही है।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी से भी मेल
मंदिर की भविष्यवाणियां अक्सर मौसम विभाग के पूर्वानुमानों से मेल खाती हैं। इस बार भी मौसम विभाग ने कानपुर और आसपास भारी बारिश की संभावना जताई है, जो मंदिर की भविष्यवाणी के अनुरूप है।
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