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हाइलाइट्स
- कानपुर में फर्जी पुलिस बनकर वसूली करने वाला गिरोह पकड़ा गया
- हूटर-गाड़ी और वर्दी में छापेमारी कर 1.70 लाख की वसूली की गई
- ट्रैफिक दरोगा मास्टरमाइंड, 5 आरोपी गिरफ्तार, मुख्य आरोपी फरार
Kanpur Fake Police Raid: उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में पुलिस बनकर लोगों से वसूली करने वाले एक शातिर गिरोह का खुलासा हुआ है। यह गिरोह हूटर लगी गाड़ियों और पुलिस वर्दी पहनकर अधिकारियों की तरह छापेमारी करता था और फिर डरा-धमकाकर लाखों रुपये की वसूली करता था।
शनिवार को रावतपुर थाना क्षेत्र में इसी तरह की एक वारदात के दौरान असली पुलिस के पहुंचने पर पांच आरोपी पकड़े गए। गिरोह का मास्टरमाइंड बताया जा रहा ट्रैफिक दरोगा अजीत यादव मौके से फरार हो गया।
फिल्मी स्टाइल में देते थे वारदात को अंजाम
पुलिस के मुताबिक, आरोपी खुद को एसटीएफ और क्राइम ब्रांच का अफसर बताकर लोगों के घरों में घुसते थे। शनिवार को यह गिरोह रावतपुर निवासी अंबिका सिंह चंदेल के घर पहुंचा और खुद को एसटीएफ का बताते हुए लाठी-डंडों से घरवालों के साथ मारपीट की। उन्होंने अंबिका सिंह, उनकी भाभी और भतीजी को फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी और उनसे 1.40 लाख नकद और 30 हजार रुपये ऑनलाइन वसूले।
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पुलिस की तत्परता से पांच आरोपी गिरफ्तार
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पुलिस ने होमगार्ड (लाल टीशर्ट में) समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर भेजा जेल[/caption]
घटना की सूचना मिलने पर असली पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन आरोपी फरार हो चुके थे। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पीछा कर पांच आरोपियों – होमगार्ड राजीव दीक्षित, महिला पीआरडी जवान वर्षा चौहान, अरविंद शुक्ला, अनिरुद्ध सिंह और अनुज – को गिरफ्तार कर लिया। सभी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
मास्टरमाइंड ट्रैफिक दरोगा अब भी फरार
इस गिरोह का सरगना कानपुर ट्रैफिक विभाग में तैनात दरोगा अजीत यादव बताया जा रहा है, जो फिलहाल फरार है। पुलिस का कहना है कि दरोगा की गिरफ्तारी जल्द की जाएगी और उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
पहले भी कई वारदातों को दे चुके अंजाम
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गिरोह पहले भी हनुमंत बिहार थाना क्षेत्र के उस्मानपुर में छापेमारी कर चुका[/caption]
पूछताछ में पता चला है कि गिरोह पहले भी हनुमंत बिहार थाना क्षेत्र के उस्मानपुर में छापेमारी कर चुका है। जहां से ढाई लाख रुपये की वसूली की गई थी। अब तक गिरोह आठ से दस जगहों पर ऐसी वारदातें कर चुका है।
वर्दी, हूटर और महादेव ऐप का करते थे इस्तेमाल
गिरोह पहले रेकी करता और फिर जुआ, सेक्स रैकेट या अन्य अवैध गतिविधियों में लिप्त स्थानों पर छापा मारता था। नकली पुलिस की तरह वर्दी पहनकर लोगों को डराता, फिर थाने ले जाने की धमकी देकर सुनसान जगह पैसे मंगवाता। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए ‘महादेव ऐप’ का उपयोग करता और फिर किसी साइबर कैफे से कैश निकालकर आपस में बांट लेते।
बरामदगी और कार्रवाई
पुलिस ने आरोपियों के पास से दो कारें (हुंडई और डैटसन), मोबाइल और नकदी बरामद की है। डीसीपी वेस्ट दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि गिरोह असली पुलिस जैसी ही छवि बनाकर वारदात करता था। गिरफ्तार पांच आरोपियों के अलावा फरार दरोगा की तलाश की जा रही है। गिरोह में शामिल सभी सरकारी कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
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