UP Dowry Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि पत्नी बालिग है और उसकी सहमति से पति द्वारा अप्राकृतिक सेक्स किया जाता है, तो यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। हालांकि, यदि यह कृत्य दहेज के लिए दबाव डालने या उत्पीड़न के रूप में होता है, तो यह दहेज उत्पीड़न (धारा 498A) का अपराध होगा।
मेडिकल से इनकार, केस की कार्यवाही को निरस्त करने का आधार नहीं
कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल जांच से इनकार करना किसी केस की कार्यवाही को निरस्त करने का आधार नहीं माना जा सकता। साथ ही, दहेज उत्पीड़न के लिए बयान में बताई गई क्रूरता ही पर्याप्त है।
इमरान खान की याचिका की खारिज
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने इमरान खान उर्फ अशोक रत्न की याचिका खारिज करते हुए दिया है। याचिका में कहा गया था कि शिकायतकर्ता और आरोपी पति-पत्नी हैं, इसलिए अप्राकृतिक सेक्स का अपराध नहीं बनता। साथ ही, दहेज की विशेष मांग का आरोप नहीं है, इसलिए मुकदमे की कार्यवाही रद्द की जाए। कोर्ट ने याची के तर्कों को भ्रामक करार देते हुए मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय कानून में पति-पत्नी के बीच सहमति से होने वाले यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है, लेकिन यदि यह कृत्य दहेज उत्पीड़न या अन्य दबाव के तहत होता है, तो वह अपराध माना जाएगा।
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