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हाइलाइट्स
- 18 जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना
- धान-सरसों की फसलें बर्बाद
- फसलों पर बारिश का असर, किसानों की बढ़ी चिंता
Cyclone Montha: उत्तर प्रदेश में तूफान मोन्था का असर बढ़ गया है। लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या समेत कई जिलों में बारिश और तेज हवाएं चल रही हैं। इससे धान और सरसों की फसलों को नुकसान हुआ है। सीएम योगी ने प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार सुबह से ही लखनऊ वाराणसी अयोध्या जौनपुर, आजमगढ़ और बाराबंकी समेत कई जिलों में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। बारिश के साथ सर्द हवाओं ने ठंड का अहसास बढ़ा दिया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को रेनकोट और छाते के सहारे निकलना पड़ा, जबकि ऑफिस जाने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। सड़कों पर ट्रैफिक धीमा हो गया है।
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18 जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने शुक्रवार को यूपी के 18 जिलों में भारी बारिश और तेज हवाओं का अलर्ट जारी किया है। जानकारी के अनुसार, हवाएं 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। बिजली गिरने की भी आशंका जताई गई है। मौसम विभाग ने कहा है कि तूफान मोन्था का असर 1 नवंबर तक बना रहेगा।
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फसलों पर बारिश का असर, किसानों की बढ़ी चिंता
पूर्वांचल और तराई क्षेत्र के कई जिलों में तेज हवाओं और बारिश से धान और सरसों की फसल पर संकट मंडरा गया है। कई जगहों पर धान की फसल कटने को तैयार थी, जो हवा से गिर गई। वहीं, कुछ खेतों में कटी फसल भीग जाने से दाने खराब होने और फफूंद लगने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, गेहूं की बुआई की तैयारी कर रहे किसानों के लिए यह मौसम राहत भरा है। मिट्टी में पर्याप्त नमी आने से जोताई और बुआई आसान हो जाएगी। चना , मसूर, मटर और सरसों की फसल के लिए भी यह मौसम उपयुक्त बताया जा रहा है।
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सीएम योगी ने दिए राहत के आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को तुरंत सर्वे कराकर आपदा से प्रभावित किसानों को राहत और मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी किसान को नुकसान की भरपाई से वंचित नहीं रहना चाहिए।
Indira Gandhi Death Anniversary: देश की पीएम आयरन लेडी को उनके ही बॉडीगार्ड्स ने क्यों कर दिया था छलनी, पढ़ें पूरी कहानी
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भारतीय राजनीति में 31 अक्टूबर 1984 कि दिन देश के लिए काला अध्याय की तरह रहा है। ये वही दिन है जब देश ने अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को खो दिया था। उनकी हत्या उनकी ही सुरक्षा में तैनात दो सशस्त्र बॉडीगार्ड — बींट सिंह (Beant Singh) और सतवंत सिंह (Satwant Singh) — ने गोली मार कर कर दी थी। घटना के तत्काल बाद और उसके बाद जो प्रतिक्रियाएं हुईं, वे आज भी भारतीय राजनीति और साम्प्रदायिक-संबंधों की चर्चाओं का अहम हिस्सा हैं। (“Indira Gandhi assassination 1984”) पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें
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