(रिपोर्ट- आलोक राय -लखनऊ)
UP CABINET MEETING: लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित सीएम आवास में यूपी कैबिनेट की बैठक बुलाई गई। जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा हुई जिनमें गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने, आबकारी नीति में संशोधन और औद्योगिक विभाग से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं। इसके अलावा, सीएम योगी मंत्रियों के साथ एक अलग बैठक करेंगे और विभागों के कामकाज की समीक्षा करेंगे।बजट सत्र और माध्यमिक, उच्च शिक्षा से जुड़े प्रस्ताव भी बैठक में रखे जाएंगे।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल के प्रस्ताव पर संशोधन किया जाएगा। यह संशोधन करीब डेढ़ महीने पहले कैबिनेट में आए आबकारी नीति के प्रस्ताव में किया जाएगा। इस संशोधन के बाद, उत्तर प्रदेश में आबकारी नीति को 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जा सकेगा। आबकारी नीति में किसी भी संशोधन का प्रदेश के संचालन में बहुत महत्व होता है, क्योंकि जीएसटी के बाद सबसे अधिक राजस्व की प्राप्ति आबकारी के जरिए ही होती है।
#WATCH लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट बैठक की। pic.twitter.com/NPkIer7h7E
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 5, 2025
कैबिनेट की मीटिंग के साथ ही, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रियों की अलग से भी बैठक करेंगे, जिसमें कामकाज की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में प्रयागराज में बचे हुए कुंभ मेले की व्यवस्थाओं और उत्तर प्रदेश से जुड़े अनुमति पूर्ण मसलों पर विचार विमर्श हुई।
UP Cabinet में 11 प्रस्तावों पर लगी मुहर
- उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025-26 की आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत, यूपी आबकारी विभाग की दुकानें लॉटरी सिस्टम के जरिए आवंटित की जाएंगी। इस नीति के तहत, उत्तर प्रदेश में अंग्रेजी शराब की दुकान, बीयर शॉप और अन्य वाइन शॉप का आवंटन लॉटरी सिस्टम के जरिए किया जाएगा। यह फैसला आबकारी विभाग की नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब कारोबारियों के लिए नई आबकारी नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यूपी में शराब की दुकानों के मालिक लंबे समय से लाइसेंस नवीनीकरण की मांग कर रहे थे। हालांकि, लॉटरी सिस्टम से शराब के दाम बढ़ेंगे या नहीं, यह अभी तय नहीं है।
- उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में स्वीकृत होती रही है, लेकिन इस बार महाकुंभ मेला और मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की आचारसंहिता के कारण इसमें देरी हुई। सरकार किसी जल्दबाजी में दुकानों की लाइसेंस प्रक्रिया को हरी झंडी नहीं दिखाना चाहती थी। यूपी में शराब की बिक्री का राजस्व करीब 50 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष में 47 हजार 600 करोड़ रुपये था। यह राजस्व में 4500 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी है।