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Up Board Fee Hike: नहीं बढ़ाई जा रही है प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों की फीस, सरकार ने वायरल आदेश को बताया फर्जी

Up Board Fee Hike: उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में फीस वृद्धि को लेकर वायरल हुए कथित शासनादेश को सरकार ने फर्जी करार दिया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश के किसी भी राजकीय या अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय में फिलहाल फीस नहीं बढ़ाई जा रही है।

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anurag dubey
Up Board Fee Hike: नहीं बढ़ाई जा रही है प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों की फीस, सरकार ने वायरल आदेश को बताया फर्जी

हाइलाइट्स

  • कक्षा 9 से 12 तक के विभिन्न शुल्कों में दो से दस गुना तक की बढ़ोतरी का दावा
  • सरकार ने वायरल आदेश को बताया फर्जी
  • विद्यालय में फिलहाल फीस नहीं बढ़ाई जा रही है
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Up Board Fee Hike: उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में फीस वृद्धि को लेकर वायरल हुए कथित शासनादेश को सरकार ने फर्जी करार दिया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश के किसी भी राजकीय या अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय में फिलहाल फीस नहीं बढ़ाई जा रही है। शनिवार को पूरे दिन एक कथित शासनादेश सोशल मीडिया, खासतौर पर वॉट्सऐप पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के विभिन्न शुल्कों में दो से दस गुना तक की बढ़ोतरी का दावा किया गया था।

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इस फर्जी आदेश में संयुक्त सचिव "निलेष कुमार सिंह" का नाम दर्शाया गया था, जिसे 9 मई को जारी बताया गया। इस आदेश के सामने आने के बाद कुछ शिक्षक संगठनों ने खुशी जताई, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे स्कूलों को अतिरिक्त आर्थिक मदद मिलेगी। हालांकि, विभाग ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई अधिकारी विभाग में तैनात नहीं है और यह आदेश पूरी तरह फर्जी है।

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माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने खुद इस आदेश को फर्जी बताया और कहा कि विभाग ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। वहीं उप सचिव संजय कुमार ने भी कहा कि इस नाम का कोई अधिकारी विभाग में मौजूद नहीं है।

तबादलों की मांग ने पकड़ा जोर

वहीं, राजकीय शिक्षक संघ ने सात साल या उससे अधिक समय से एक ही विद्यालय में तैनात उपप्रधानाचार्यों व प्रधानाचार्यों के तबादलों की मांग की है। संघ ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र भेजा है।

प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय ने बताया कि विभाग ने 28 मार्च को अधीनस्थ राजपत्रित पदों पर पदोन्नति दी थी, जिनमें से अधिकांश शिक्षक 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो गए, जबकि कुछ अगले वर्ष होंगे। उनका स्थानांतरण गृह जिले से बाहर किया गया है, जिससे सेवानिवृत्ति से पहले पेंशन और अन्य सुविधाओं में परेशानी हो सकती है। उन्होंने मांग की कि ऐसे शिक्षकों को उनके गृह जिले में ही पदस्थापित किया जाए।

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