हाइलाइट्स
- बिजली निजीकरण विरोध में आज सांकेतिक हड़ताल
- सेवाएं बाधित कीं तो होगी बर्खास्तगी: पावर कॉरपोरेशन
- देशभर में 27 लाख बिजलीकर्मी प्रदर्शन में शामिल
रिपोर्ट- आलोक राय
UP Bijli privatisation protest: उत्तर प्रदेश सहित देशभर में 9 जुलाई को बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल का एलान किया है। यह हड़ताल नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (National Coordination Committee of Electricity Employees and Engineers) ने करने का फैसला किया है। इस हड़ताल में देशभर के करीब 27 लाख बिजलीकर्मी भाग लेंगे। प्रदेश में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी, संविदा कर्मी, अभियंता और जूनियर इंजीनियर इसमें शामिल हैं।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन, सेवाएं रहेंगी चालू
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Electricity Employees Joint Struggle Committee) ने स्पष्ट किया है कि यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा और बिजली सेवाएं बाधित नहीं की जाएंगी। उपभोक्ताओं और किसानों के समर्थन को देखते हुए सभी जिलों में वैकल्पिक टीमें तैनात की गई हैं।
देशभर के कर्मचारी संगठनों का समर्थन
इस हड़ताल को न सिर्फ बिजली कर्मियों का समर्थन मिला है बल्कि रेल, बैंक, बीमा, बीएसएनएल (BSNL), पोस्टल विभाग (Indian Post), सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी इसमें भाग ले रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (Kisan Morcha Union) भी इस आंदोलन में शामिल है। संयुक्त किसान मोर्चा इस हड़ताल के जरिए न्यूनतम वेतन ₹26,000 करने, ठेका प्रथा खत्म करने और सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग कर रहा है।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल निजीकरण पर विरोध
हड़ताल की मुख्य मांगों में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों (Purvanchal and Dakshinanchal Electricity Distribution Corporations) के निजीकरण को वापस लेने की मांग शामिल है। संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार से इस फैसले में हस्तक्षेप की अपील की है।
पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) का सख्त रुख
पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने चेतावनी दी है कि यदि किसी कर्मचारी द्वारा जानबूझकर विद्युत आपूर्ति बाधित की गई, तो बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी। जिस क्षेत्र में सप्लाई बाधित होगी, वहां के मुख्य अभियंता को भी जिम्मेदार माना जाएगा।
“नो वर्क, नो पे” नीति लागू रहेगी और सभी परियोजनाओं में बायोमीट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। जिला प्रशासन को भी अलर्ट किया गया है और सभी स्थानों पर कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिए गए हैं।
जनजागरण अभियान भी जारी
संघर्ष समिति के पदाधिकारी पहले ही राज्य के सभी जिलों और परियोजना कार्यालयों में जाकर जनजागरण अभियान चला चुके हैं, ताकि प्रदर्शन शांतिपूर्ण और संगठित ढंग से हो सके।
Kanpur DM Vs CMO Controversy: हाईकोर्ट ने CMO डॉ. हरिदत्त नेगी के निलंबन पर लगाई रोक, सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. हरिदत्त नेगी (CMO Dr. Hari Dutt Negi) के निलंबन पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही, उनकी जगह किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति पर भी कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाई है। यह आदेश कोर्ट ने डॉ. नेगी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें