Advertisment

Allahabad High Court: 'स्त्रीधन' की वापसी सिर्फ विवाह अधिनियम की कार्यवाही में ही तय की जा सकती है, अलग आवेदन अमान्य

Allahabad High Court On Hindu Remarriage Act: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि 'स्त्रीधन' की वापसी केवल हिंदू विवाह अधिनियम की कार्यवाही के दौरान ही तय की जा सकती है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा अलग से दिए गए आदेश को रद्द कर पति को राहत दी।

author-image
Bansal news
UP Allahabad High Court Streedhan section 27 of Hindu Remarriage Act zxc

हाइलाइट्स

  • स्त्रीधन वापसी अलग आवेदन से नहीं हो सकती – HC
  • फैमिली कोर्ट का ₹10.54 लाख वाला आदेश रद्द
  • तलाक के फैसले में संपत्ति निर्देश न होने पर धारा 27 लागू नहीं
Advertisment

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि पति-पत्नी के बीच संपत्ति के वितरण और 'स्त्रीधन' की वापसी जैसे मुद्दों का निपटारा केवल हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की कार्यवाही के दौरान ही किया जा सकता है। इन विषयों पर अधिनियम की धारा 27 के तहत अलग से आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता।

जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने कहा, "स्त्रीधन की वापसी एक ऐसा मुद्दा है जिसे विवाह अधिनियम के तहत चल रही कार्यवाही के ट्रायल में ही तय किया जाना चाहिए, न कि अलग से दिए गए आवेदन के आधार पर।"

फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द

फैमिली कोर्ट ने पहले पति को पत्नी को ₹10,54,364/- की राशि स्त्रीधन के रूप में लौटाने का आदेश दिया था। बाद में 1 मई 2023 को दोनों के विवाह को भंग कर दिया गया। पत्नी द्वारा अंतरिम भरण-पोषण के लिए दाखिल याचिका में पति ने कुल ₹7 लाख का भुगतान किया था।

Advertisment

पति के वकील की दलील

अपीलकर्ता पति के वकील ने तर्क दिया कि संपत्ति के वितरण का निर्देश केवल तलाक के निर्णय में ही दिया जा सकता है, अलग से नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि तलाक के फैसले में स्त्रीधन या किसी भी संपत्ति को लेकर कोई निर्देश नहीं था। इसके समर्थन में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्णय "बबिता गायत्री बनाम मोदप्रसाद पिंटू" का हवाला दिया गया।

पत्नी के वकील की आपत्ति

पत्नी की ओर से दलील दी गई कि पति ने समीक्षा याचिका में असफल होने के बाद अब अपील दायर की है, जो प्रक्रिया के विपरीत है। साथ ही बताया गया कि पत्नी ने क्रियान्वयन (execution) की कार्यवाही शुरू कर दी है।

कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणियां

कोर्ट ने पाया कि एफआईआर में लगे आरोपों में कोई ठोस सबूत नहीं है। पत्नी की गवाही में यह भी स्पष्ट किया गया कि घटना के दिन पति मौके पर मौजूद नहीं था। ज्वेलरी की जो रसीदें पत्नी ने प्रस्तुत की थीं, वे केवल फोटोकॉपी थीं और उनकी प्रमाणिकता साबित नहीं की जा सकती, क्योंकि न तो पति ने उन्हें देखा था, न ही वह लेन-देन का साक्षी था।

Advertisment

"कोई भी दस्तावेज़ उसी व्यक्ति द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है जिसने उसे बनाया हो या जिसने उसे बनते देखा हो," कोर्ट ने यह टिप्पणी फैमिली कोर्ट द्वारा फोटोकॉपी स्वीकार किए जाने पर की।

कोर्ट का निष्कर्ष

कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्णय से सहमति जताते हुए कहा, "धारा 27 केवल उस स्थिति में लागू होती है जब विवाह अधिनियम के तहत चल रही कार्यवाही में संपत्ति को लेकर निर्देश दिए जाएं। चूंकि 1 मई 2023 के तलाक फैसले में संपत्ति को लेकर कोई निर्देश नहीं था, इसलिए फैमिली कोर्ट का आदेश कानून सम्मत नहीं है।"

राहत

कोर्ट ने ₹10,54,364/- की स्त्रीधन वापसी का आदेश रद्द कर दिया। साथ ही यह भी माना कि पत्नी को पहले ही ₹7 लाख अंतरिम भरण-पोषण और ₹2,10,000/- आंशिक रूप से क्रियान्वयन के तहत मिल चुके हैं। अपीलकर्ता पति को राहत देते हुए कोर्ट ने execution proceedings को स्वतः समाप्त मान लिया।

Advertisment

UP DG Retirement: उत्तर प्रदेश में प्रशांत कुमार समेत 3 सीनियर DG रिटायर, 1 जून से ये 3 IPS अधिकारी संभालेंगे पद 

UP DG Prashant Kumar retires 3 new will become DG zxc

उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में बड़े प्रशासनिक बदलाव का दौर शुरू हो गया है। डीजी जेल पी वी रामाशास्त्री, डीजी टेलिकॉम डॉ. संजय एम तरडे और डीजी यूपी प्रशांत कुमार ने रिटायरमेंट लिया है। उनके रिटायर होने के बाद 1 जून 2025 को नए अधिकारियों को डीजी पद पर पदोन्नति देने का आदेश जारी किया जाएगा। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें 

UP News Allahabad High Court return of streedhan section 27 of Hindu Marriage Act
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें