हाइलाइट्स
- सोशल मीडिया पर पोस्ट लाइक करना अपराध नहीं
- IT Act की धारा 67 के तहत अपराध नहीं।
- अश्लील सामग्री से संबंधित है आईटी एक्ट की धारा 67।
Allahabad High Court Social Media Post Order: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि किसी सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक करना, उसे पोस्ट या शेयर करने के समान नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 67 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड निर्धारित करता है।
IT Act की धारा 67 का दायरा और कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आईटी एक्ट की धारा 67 अश्लील सामग्री से संबंधित है। जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने यह टिप्पणी की कि किसी पोस्ट या संदेश को तब “प्रकाशित” कहा जा सकता है, जब उसे खुद पोस्ट किया जाता है।
“प्रसारित” तब कहा जा सकता है जब उसे शेयर या रीट्वीट किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि IT Act की धारा 67 अश्लील सामग्री साझा करने से संबंधित है, न कि अन्य उत्तेजक या भड़काऊ सामग्री साझा करने से।
भड़काऊ सामग्री पर कोर्ट का रुख
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि “कामुक या कामुक रुचि को आकर्षित करने वाले शब्दों का अर्थ यौन रुचि और इच्छा से संबंधित है”, और इसलिए इस धारा के तहत किसी भी भड़काऊ सामग्री के लिए कोई दंड नहीं होगा।
इमरान खान के खिलाफ मामला खारिज
इस फैसले के तहत, कोर्ट ने इमरान खान के खिलाफ मामला खारिज कर दिया, जिन्हें सोशल मीडिया पर एक कथित भड़काऊ पोस्ट को लाइक करने के आरोप में फंसाया गया था। यह पोस्ट चौधरी फरहान उस्मान द्वारा की गई थी, जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम समुदाय के लोग राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के लिए एकत्र होंगे।
इस संदेश के परिणामस्वरूप कथित तौर पर 600-700 लोग एकत्र हो गए थे और उन्होंने बिना अनुमति के जुलूस निकाला था, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था और शांति को खतरा उत्पन्न हुआ।
कोर्ट ने आरोपों को नकारते हुए निर्णय दिया
कोर्ट ने यह भी कहा कि “केस डायरी में कोई सामग्री नहीं मिली जो दर्शाती हो कि आवेदक ने किसी गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने के लिए पोस्ट लाइक किया।” इस प्रकार, कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि केवल किसी पोस्ट को लाइक करना आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।
याचिकाकर्ता के पक्ष में कोर्ट का फैसला
अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील की दलील को भी सुना, जिसमें कहा गया कि उनके खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली और फेसबुक अकाउंट पर भी कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं पाई गई।
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