हाइलाइट्स
- गैर-कृषि भूमि उपयोग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला।
- बिना बंटवारे नहीं मिलेगा गैर-कृषि भूमि उपयोग अधिकार।
- गैर-कृषि काम के लिए सभी मालिकों की सहमति जरूरी।
UP Revenue Code: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 80(1) और 80(2) के तहत गैर-कृषि भूमि उपयोग की घोषणा का यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि सह-स्वामियों के बीच भूमि का बंटवारा हो चुका है। यदि कोई एक सह-भूमिधर गैर-कृषि उपयोग के लिए आवेदन करता है, तो पहले भूमि का विधिवत बंटवारा संहिता की धारा 116 और संबंधित नियमों के अनुसार होना आवश्यक है।
जस्टिस डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव और जस्टिस शेखर बी. सराफ की खंडपीठ ने यह फैसला भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के एक मामले में सुनाया। यह मामला एक पेट्रोल पंप डीलरशिप को लेकर था, जिसमें याचिकाकर्ता ने एक ऐसी भूमि पर डीलरशिप के लिए आवेदन किया था जो कि संयुक्त स्वामित्व वाली थी।
केवल एक सह-स्वामी द्वारा निष्पादित लीज अमान्य
बीपीसीएल ने अपने डीलर चयन दिशा-निर्देश, 2023 के तहत यह निर्णय लिया कि यदि किसी भूमि पर कई स्वामी हैं, तो सभी सह-स्वामियों की सहमति से ही लीज मान्य मानी जाएगी। लेकिन इस मामले में लीज डीड केवल एक सह-स्वामी द्वारा निष्पादित की गई थी, जबकि उस भूमि के चार अन्य सह-स्वामी भी मौजूद थे।
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याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 20 दिसंबर 2019 के आदेश के तहत भूमि का बंटवारा हो चुका है और उनके पक्ष में लीज निष्पादित करने वाला व्यक्ति भूमि के उस हिस्से का मालिक है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि धारा 80 की उपधारा (4) के तहत एक बार घोषणा हो जाने के बाद यह माना जाना चाहिए कि भूमि विभाजित हो चुकी है।
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि धारा 80(1) केवल गैर-कृषि उपयोग की घोषणा से जुड़ी है, न कि भूमि के विभाजन से। जब तक सभी सह-स्वामियों द्वारा संयुक्त रूप से आवेदन नहीं किया जाता या भूमि का विधिक बंटवारा नहीं हो जाता, तब तक ऐसे आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता यह प्रमाणित करने में विफल रहे कि भूमि का विभाजन संहिता की धारा 116 के तहत विधिक रूप से हुआ था। ऐसे में बीपीसीएल द्वारा डीलरशिप का आवेदन खारिज करना कानूनन उचित था।
कानून का पालन अनिवार्य
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी सह-स्वामी द्वारा भूमि के गैर-कृषि उपयोग के लिए की गई घोषणा तब तक वैध नहीं मानी जा सकती जब तक कि सभी सह-स्वामी इसमें शामिल न हों या भूमि का विभाजन विधिक प्रक्रिया के तहत न हो गया हो।
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