हाइलाइट्स
- चंबल नदी का जलस्तर 133 मीटर तक पहुंचा
- बाढ़ से गांवों में हालात गंभीर, पलायन शुरू
- प्रशासन अलर्ट, राहत और बचाव कार्य तेज
Chambal River Flood Update: उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश के कारण चंबल नदी में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। बनास बांध और कोटा बैराज के 6 गेट खोलकर भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से चंबल का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार सुबह पिनाहट घाट पर चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान 130 मीटर को पार करते हुए 133 मीटर तक पहुंच गया।
प्रशासन हाई अलर्ट पर, बाढ़ चौकियां सक्रिय
प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सभी बाढ़ चौकियों पर लेखपाल, कानूनगो, स्वास्थ्य विभाग और राजस्व टीमों की ड्यूटी लगा दी है। रात में भी निगरानी रखने के लिए विशेष आदेश जारी किए गए हैं। 8 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं, जहां से चंबल के जलस्तर पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है।
2019 और 2022 जैसी बाढ़ की आशंका
पूर्व में 2019 और 2022 में चंबल नदी की भीषण बाढ़ से भारी तबाही हुई थी। हजारों ग्रामीणों की फसलें बर्बाद हुईं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। इस बार भी चंबल के उफान के कारण रेहा, उमरेठा, कछियारा, डंगोरा, भगवानपुरा, केंजरा और झरनापुरा जैसे गांवों में पानी भर गया है।
गांवों में हालात गंभीर, लोग पलायन को मजबूर
बाढ़ की आशंका के चलते ग्रामीणों ने पशु और अनाज के साथ सुरक्षित स्थानों पर पलायन शुरू कर दिया है। कई गांवों के मुख्य रास्तों पर पानी भरने से मोटरबोट की व्यवस्था की गई है। ग्राम पंचायत रेहा, बीचकापूरा और उमरेठा के किसानों की बाजरा की फसलें जलमग्न हो गई हैं।
जिलाधिकारी और पुलिस उपायुक्त ने किया दौरा
डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी और पुलिस उपायुक्त रामबदन सिंह ने चंबल किनारे बसे बाढ़ प्रभावित गांवों का निरीक्षण कर राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि बाह तहसील के तीन गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, और दो गांवों को चंबल नदी ने चारों ओर से घेर लिया है। प्रशासन ने इन गांवों के लिए मोटर बोट और राहत कैंप की व्यवस्था की है।
स्वास्थ्य विभाग और नहर विभाग की तैयारी
चंबल नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सिंचाई विभाग ने नहर के पंप हाउस के मुख्य गेट को दीवार लगाकर बंद करा दिया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल कैंप लगाने के लिए तैयार हैं।
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