कोंडागांव से घनश्याम शर्मा की रिपोर्ट
Jara Hatke: छत्तीसगढ़ राज्य में एक अदालत ऐसी लगती है जहां देवी-देवताओं को भी दंडित किया जाता है। जिसमे देवताओं के प्रमुख भंगाराम न्यायाधीश की भूमिका में होते हैं, जो देवी-देवताओं पर आरोप के बाद दंड तय करते हैं। भादो जात्रा के नाम से प्रसिद्ध है।
देवी-देवताओं को किया जाता है दंडित
इस वर्ष भी यह कार्यक्रम आयोजित हुआ जहां गलती पाए जाने पर देवी-देवताओं को दंडित किया गया। इस साल करीब दस देवी देवताओं को छह माह और एक साल की सजा मिली है। केशकाल में आयोजित होने वाले भंगाराम जात्रा में क्षेत्र के सारे देवी-देवताओं ने शिरकत की।
सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं ने इस दौरान अपने कार्यों का ब्यौरा लेकर मुगंबाडी स्थित कुंवर पाठ के मंदिर से केशकाल थाना पहुंचे। जहां से भंगाराम मंदिर के लिए रवाना हुए। मंदिर परिसर पहुंचने पर पूजा-अर्चना के बाद देवी-देवताओं की अदालत लगाई गई। जिसमें देवी-देवताओं पर लगे आरोपों को गंभीरता से सुनवाई शुरू हुई।
देवताओं को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है
बिना मान्यता के किसी भी नए देवी की पूजा का प्रावधान नहीं है। ग्रामीणों की मांग पर देवताओं को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। भंगाराम देवी मंदिर के पास ही एक ऐसा स्थान है, जहां पर गांव-गांव से लाई गई सामग्रियों को खात्मे के रूप में डाला जाता है। जिसे कारागार या जेल के रूप में माना जाता है।
मेले में इस दौरान पुजारी, गायता, सिरहा, ग्राम प्रमुख, मांझी मुखिया, पटेल उपस्थित रहे। इसके अलावा इस मौके पर देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए बली भी दी जाती है।
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