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हाइलाइट्स
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रिटायरमेंट प्लान बताया।
- रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती को समय देंगे शाह।
- सहकारिता को गृह मंत्रालय से भी बड़ा विभाग बताया।
Union Minister Amit Shah Future Plan: केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपना रिटायरमेंट प्लान बता दिया है। उन्होंने अहमदाबाद में बुधवार को सहकारिता से जुड़ीं महिलाओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपने भावी जीवन की योजना साझा की। इसके साथ ही शाह ने सहकारिता विभाग को महत्वपूर्ण और गृह मंत्रालय से बड़ा विभाग बताया। उन्होंने त्रिभुवनदास सहकारिता विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी और सहकारिता की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।
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गृहमंत्री शाह का रिटायरमेंट प्लान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'सहकार-संवाद' कार्यक्रम में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाओं को संबोधित करते हुए अपना फ्यूचर प्लान बताया। केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि 'मैंने फैसला लिया है कि सार्वजनिक जीवन से रिटायर होने के बाद, मैं अपना शेष जीवन वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती के अध्ययन के लिए समर्पित करूंगा।
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प्राकृतिक खेती को दूंगा बढ़ावा
उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है, जिसके कई लाभ हैं। उनका मानना है कि रासायनिक खाद से उगाई गई फसलें सेहत के लिए हानिकारक होती हैं, जबकि प्राकृतिक खेती से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन भी बेहतर होता है।
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सहकारिता मंत्रालय बड़ा विभाग
बुधवार को अहमदाबाद में आयोजित ‘सहकार संवाद’ में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए। अमित शाह ने कहा कि उन्हें गृह मंत्रालय जितना ही, बल्कि उससे भी ज्यादा महत्व सहकारिता मंत्रालय का लगता है। उन्होंने बताया कि जब वे गृह मंत्री बने तो लोगों ने इसे बड़ा पद बताया, लेकिन सहकारिता मंत्री बनने पर उन्हें महसूस हुआ कि यह मंत्रालय सीधे किसानों, गांवों, गरीबों और पशुपालन से जुड़े लोगों की भलाई के लिए काम करता है, इसलिए यह विभाग उनके लिए खास महत्व रखता है। इस दौरान उन्होंने सहकारिता मंत्रालय को गरीबों और किसानों की रीढ़ बताया।
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त्रिभुवन काका ने रखी थी सहकारिता की नींव
अमित शाह ने 'सहकार-संवाद' कार्यक्रम में त्रिभुवनदास काका के नाम पर त्रिभुवनदास सहकारिता विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन की असली नींव त्रिभुवन काका ने रखी, जिनके दूरदर्शी विचारों के कारण आज सहकारी समितियों से कई लोग करोड़ों कमा रहे हैं। आज गुजरात की डेयरी क्षेत्र से जुड़ी 36 लाख महिलाएं 80 हजार करोड़ रुपए का व्यापार कर रही हैं। उन्होंने भारत के सहकारिता आंदोलन का श्रेय त्रिभुवन काका को दिया।
शाह ने यह भी बताया कि देशभर में वे देखते हैं कि कैसे महिलाओं ने छोटे संसाधनों में अपने बच्चों की शिक्षा और जीवन में बदलाव लाया है। उन्होंने त्रिभुवन काका की सादगी और निस्वार्थ सेवा की भी सराहना की।
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