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हाइलाइट्स
उज्जैन में शिप्रा नदी में गिरी पुलिसकर्मियों की कार
कार से बाहर क्यों नहीं निकल पाईं कॉन्स्टेबल आरती पाल
आखिर क्यों हुई पुलिसकर्मियों की जल समाधि
Ujjain Shipra Car Accident: 6 सितंबर की रात करीब 9 बजे उज्जैन के शिप्रा नदी के बड़े ब्रिज पर एक कार अचानक पुल से नीचे गिरी। इस हादसे का CCTV वीडियो भी सामने आया, जिसमें कार ओवरटेकिंग की कोशिश करती नजर आ रही थी। इस कार में टीआई अशोक शर्मा, कॉन्स्टेबल आरती पाल और एसआई मदनलाल निनामा मौजूद थे। कार लेडी कॉन्स्टेबल आरती की थी और वो खुद ही इसे ड्राइव कर रहीं थीं। 6 सितंबर को कार शिप्रा में गिरी और 9 सितंबर की शाम को बरामद हुई।
कार में से आरती पाल की बॉडी ड्राइविंग सीट की जगह बैक सीट से बरामद हुई। जब पुलिस ने कार को बाहर निकाला तो वो पूरी तरह से लॉक थी और माना जा रहा है कि इसी वजह से शिप्रा में तीनों पुलिसकर्मियों की जल समाधि हो गई।
आखिर लेडी कॉन्स्टेबल आरती पाल कार से बाहर क्यों नहीं निकल पाईं और सेफ्टी के लिए बना कार का एक फीचर कैसे उनके लिए जानलेवा बन गया...
पावर विंडो फेल और कार लॉक
शिप्रा में गिरी कार होंडा अमेज है जो 2020 का मॉडल है, इसका कर्ब वेट यानी वजन करीब 945 किलो है। ज्यादातर मॉडर्न कारों में पावर विंडो होती है। जब ये कार पानी में गिरी तो इसका पावर विंडो और इलेक्ट्रिक सिस्टम फेल हो गया, जिस वजह से शीशे नहीं खुले। कई कारों में ड्राइविंग के दौरान दरवाजे ऑटोमैटिक लॉक हो जाते हैं, ये एक सेफ्टी फीचर है, ताकि एक्सीडेंट में दरवाजा अपने आप न खुले। अगर कार पानी में गिर जाए, तो ये लॉक अपने आप नहीं खुलते।
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लेडी कॉन्स्टेबल आरती पाल की कार[/caption]
पानी का दबाव
फिजिक्स का नियम भी ये कहता है कि जब कार पानी में डूब जाती है तो बाहर की तरफ पानी का दबाव बहुत तेजी से बढ़ जाता है और इस वजह से कार का दरवाजा अंदर से खोलना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
न्यू जेनेरेशन कार में इमरजेंसी में विंडो खोलने का फीचर नहीं
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रवि द्विवेदी, प्रोफेसर, मैनिट, भोपाल[/caption]
मैनिट भोपाल के प्रोफेसर रवि द्विवेदी ने बताया कि कार जब भी पानी में सिंक होती है तो उसमें बाहर का एक्सटर्नल वॉटर प्रेशर काम करता है। जिसकी वजह से डोर खोलने में दिक्कत आती है। इसके साथ ही कार की इलेक्ट्रॉनिक्स फेल हो जाती है। इलेक्ट्रॉनिक्स में पानी चले जाने से विंडो भी नीचे नहीं जा पाती है। तीसरी चीज ये कि अगर कार ऐसी जगह गिरी है जहां पर 15 फीट से ज्यादा गहराई है तो कार नीचे इंजन की तरफ से झुकती है। एक एंगल में पहले नीचे जाती है और कुछ समय के बाद वो अपसाइड डाउन हो जाती है। रूफ नीचे आ जाती है। आजकल की न्यू जेनेरेशन कार में कोई भी इस तरह का फीचर नहीं दिया गया है जिससे विंडो या कांच को खोला जा सके।
इमरजेंसी में कार से बाहर कैसे निकलें ?
प्रोफेसर रवि द्विवेदी ने बताया कि आजकल सभी कार में टिंटेड ग्लास होते हैं। टिंटेड ग्लास को लात, घूसे, कोहनी या कंधे से तोड़ना कठिन होता है। इसके लिए कार में हमेशा लाइफ सेवर हैमर होना चाहिए जिससे ग्लास को तोड़ा जा सके। अगर गाड़ी में हैमर नहीं है तो पैनिक होने की जरूरत नहीं है। सीट के पीछे के हेडरेस्ट को निकाल लिया जाता है। उसमें 2 रॉड लगी रहती हैं, उस रॉड से ग्लास टूट जाता है।
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पानी में डूबने पर कार की विंड स्क्रीन न तोड़ें
प्रोफेसर रवि द्विवेदी ने बताया कि पानी में डूबने पर ध्यान रखने वाली बात ये है कि कभी भी कार के विंड स्क्रीन को नहीं तोड़ें, नहीं तो एकदम फोर्स से पानी अंदर आएगा। जैसे ही कार की कोई एक विंडो टूट जाती है तो पानी अंदर आना शुरू हो जाता है और उसका वॉटर प्रेशर इक्वलाइज होने लगता है।
कारों में वॉटर प्रेशर सेंसर की जरूरत
प्रोफेसर रवि द्विवेदी का कहना है कि ऑटोमोबाइल कंपनियों को बहुत ज्यादा ध्यान देना चाहिए कि कार के डोर के नीचे एक वॉटर सेंसर या वॉटर प्रेशर सेंसर होना चाहिए। जैसे ही वहां पानी टच होता है और उसको प्रेशर मिलता है तो उस सेंसर से कार के विंडो ग्लास नीचे किए जा सकते हैं।
हैंडल से शीशे खोलने की तकनीक बंद
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पुरानी कारों में इस हैंडल से खुलते थे कांच[/caption]
मॉर्डन कार का एक फीचर जो कंपनी ने पब्लिक की सेफ्टी के लिए बनाया था, उसी ने आरती पाल की जिंदगी छीन ली। बात करें पुरानी कारों की तो उसमें मैन्युअल हैंड क्रेंक यानी हाथों से एक हैंडल के जरिए शीशे खोलने की तकनीक होती थी, जो अब नई कारों में बंद हो गई है। अगर इस कार में भी वो तकनीक होती तो शायद पुलिसकर्मियों की जान नहीं जाती।
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