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MP Hotel Nameplate Demand: सावन से पहले एमपी में उठी होटलों पर नेमप्लेट जरूरी करने की मांग, धार्मिक संगठनों ने उठाई आवाज

सावन महीने की शुरुआत से पहले उज्जैन में धार्मिक संगठनों ने होटल संचालकों की नेमप्लेट अनिवार्य करने की मांग उठाई है। संगठनों की मांग है कि महाकाल मंदिर मार्ग पर स्थित होटल और रेस्टोरेंट पर संचालक के स्पष्ट नाम की तख्ती लगे।

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Vikram Jain
MP Hotel Nameplate Demand: सावन से पहले एमपी में उठी होटलों पर नेमप्लेट जरूरी करने की मांग, धार्मिक संगठनों ने उठाई आवाज

Ujjain Shop Nameplate Demand: सावन का महीना पास आते ही एक बार फिर उत्तर प्रदेश और उतराखंड की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी दुकान पर दुकानदार का नाम लिखने की मांग उठने लगी है। मध्य प्रदेश में कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर होटलों और दुकानों पर नेमप्लेट लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।

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सावन से पहले उज्जैन में धार्मिक संगठनों ने प्रशासन से होटल संचालकों की नाम और पहचान वाली नेमप्लेट अनिवार्य करने की मांग की है। हिंदू संगठनों का कहना है कि बाब महाकाल के मंदिर जाने वाले रास्तों में आने वाले सभी होटल और रेस्टोरेंट के बाहर मालिक का नाम, पहचान से जुड़ी डिटेल्स लिखी होनी चाहिए। धार्मिक संगठनों ने यह मांग भक्तों की आस्था, विश्वास और सुरक्षा को लेकर उठाई है।

आस्था को लेकर धार्मिक संगठनों की चिंता

जैसे-जैसे सावन का महीना नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे महाकाल की नगरी उज्जैन में धार्मिक संगठनों द्वारा एक विशेष मांग उठाई जा रही है। यह मांग है कि महाकाल मंदिर जाने वाले रास्तों पर मौजूद सभी होटल और रेस्टोरेंट पर मालिक का नाम साफ-साफ लिखा जाए।

धार्मिक संगठनों का कहना है कि सावन एक पवित्र महीना होता है और इस दौरान देशभर से लाखों श्रद्धालु महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। संगठनों के अनुसार महाकाल मंदिर मार्ग पर कई ऐसे होटल और रेस्टोरेंट हैं, जिनके नाम तो हिंदू संस्कृति से प्रेरित हैं, लेकिन उनके संचालक मुस्लिम हैं। मुस्लिम संचालकों द्वारा चलाए जा रहे होटल-रेस्टोरेंट के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे जाते हैं। इससे श्रद्धालुओं को भ्रम होता है और वे बिना जानकारी के वहां भोजन कर लेते हैं।

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होटल-रेस्टोरेंट पर मालिक का नाम लिखें

सावन जैसे पवित्र अवसर पर जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं, तो भोजन करते समय भ्रम की स्थिति बन जाती है। कभी-कभी उन्हें नॉनवेज भोजन भी परोसा दिया जाता है, इससे टकराव की स्थिति बन जाती है, और श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचती है। धार्मिक संगठनों ने मांग उठाई की भक्तों की आस्था, विश्वास और सुरक्षा को लेकर होटल और दुकान मालिक की नाम और डिटेल्स की नेमप्लेट लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। प्रशासन इस मामले में गंभीरता दिखाए।

भोजन को लेकर विवाद की आशंका

अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के पदाधिकारी महेश पुजारी ने बताया कि, "कई बार श्रद्धालु किसी भी होटल में फलाहार समझकर भोजन कर लेते हैं, पर वहां नॉनवेज परोसा जाता है। बाद में जब उन्हें जानकारी मिलती है तो विवाद की स्थिति बन जाती है और उनकी भावनाएं आहत होती हैं। अगर होटल या ढाबे पर मालिक का नाम दिखाई तो भक्तों को आसानी होगी।

कई होटल-रेस्टोरेंट के मालिक मुस्लिम

हिंदूवादी संगठनों के अनुसार, बाबा महाकाल मंदिर क्षेत्र में लगभग 600 से ज्यादा होटल-रेस्टोरेंट हैं, जिनमें से 200 से अधिक होटलों को मुस्लिम चला रहे हैं। इन्हें देखने पर ऐसा लगता यह होटल या ढाबा किसी हिंदू का है, लेकिन ऐसा नहीं होता। हिंदूवादी नेता रितेश माहेश्वरी ने बताया कि कई बार श्रद्धालुओं को भोजन में हड्डी या नॉनवेज मिलने की शिकायतें मिली हैं। इसलिए सभी दुकानों और होटलों पर मालिक के नाम की नेमप्लेट जरूर लिखी होना चाहिए।

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महामंडलेश्वर ने किया समर्थन

महामंडलेश्वर ज्ञान दास महाराज ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा, "सावन में हजारों भक्त उज्जैन आते हैं। कई बार उन्हें यह पता नहीं होता कि वे किस होटल में खा रहे हैं और वहां क्या बन रहा है। मालिक का नाम नेमप्लेट पर लिखा रहेगा तो भ्रम नहीं होगा। मालिक का नाम लिखा रहने पर कोई विवाद नहीं होगा और आस्था बनी रहेगी।

क्यों जरूरी मानी जा रही मांग?

  • सावन के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आते हैं।
  • आस्था और धार्मिक भावनाएं इस महीने में सर्वोपरि होती हैं।
  • खाने को लेकर श्रद्धालुओं की सतर्कता जरूरी है।
  • नाम स्पष्ट होने से नॉनवेज परोसने जैसे मामलों से बचा जा सकेगा।
  • धार्मिक और सामाजिक समरसता को बनाए रखने में यह कदम सहायक हो सकता है।

सावन कब से शुरू हो रहा है?

इस वर्ष सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान महाकाल मंदिर में भारी भीड़ उमड़ती है। यहां बड़ी संख्या में कावड़ यात्री पहुंचते हैं, ऐसे में धार्मिक संगठनों की यह मांग भक्तों की आस्था, विश्वास और सुरक्षा के संदर्भ में उठाई गई है। होटल और रेस्टोरेंट पर मालिक का नाम लिखे जाने से न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि आने वाले भक्तों को यह भी जानकारी मिलेगी कि वे कहां भोजन कर रहे हैं।

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