उज्जैन। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि शिप्रा में अमृत की बूंदें गिरी थीं। कुंभ मेले में मोक्ष की प्राप्ति तभी होगी, जब यहां आने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं को शिप्रा के जल से ही स्नान करवाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नर्मदा जल का अपना महत्व है लेकिन मोक्षदायिनी तो शिप्रा ही है। उन्होने शिप्रा शुद्धिकरण, सिंहस्थ के निर्माण कार्य, सिंहस्थ क्षेत्र में हुए अतिक्रमण पर खुलकर बात की।
उज्जैन में महाकाल फेस 2 में कार्यक्रम में शामिल होने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने शिप्रा नदी में सिहस्थ की बूंदे गिरने और स्नान का महत्व बताया है।
स्नान करने से मिलेगा मोक्ष
उन्होने कहा कि अमृत की बूंदें शिप्रा में गिरी थीं। कुंभ मेले में मोक्ष की प्राप्ति तभी होगी, जब यहां आने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं को शिप्रा के जल से ही स्नान करवाया जाएगा।
खड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि पिछले सिंहस्थ के समय भी नर्मदा के जल से स्नान करवाने पर विरोध किया था। शिप्रा का अर्थ शिप्रा का जल है नर्मदा का जल नहीं।
इस बार चर्चा हुई है सिंहस्थ से पहले ही शिप्रा का जल शुद्ध हो जाएगा । लाखोंं श्रद्धालु उज्जैन आते है, सरकार भी चाहती ही शिप्रा शुद्ध रहे। शिप्रा का जल शुद्ध नहीं है, इसलिए लोग इसमें स्नान नहीं कर रहे। शुद्ध जल होने के बाद सभी स्नान करेंगे।
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