Shiv Navratri 2025: उज्जैन महाकाल मंदिर में 17 फरवरी से शिव नवरात्र के रूप में शिव-पार्वती विवाह महोत्सव की शुरुआत होगी। इस दौरान लगातार दस दिनों तक भगवान महाकाल को हल्दी लगाकर दूल्हे के रूप में सजाया जाएगा।
महापर्व की तैयारियों के तहत मंदिर में सफाई और सजावट का काम शुरू हो गया है। बुधवार से गर्भगृह में रुद्रयंत्र और रजत मंडित दीवार की सफाई की जाएगी। इसके लिए दिल्ली से स्वर्णकार की टीम मंगलवार को उज्जैन पहुंचेगी।
11 दिन तक मनाया जाएगा महोत्सव
बारह ज्योतिर्लिंगों में से महाकाल एकमात्र ज्योतिर्लिंग हैं, जहाँ महाशिवरात्रि का उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस बार तिथि वृद्धि के कारण यह उत्सव पूरे 11 दिनों तक चलेगा।
शिव विवाह उत्सव के दौरान मंदिर का हर कोना स्वर्णिम आभा से चमक उठेगा। मंगलवार से विश्राम धाम और सभा मंडप की रंगाई-पुताई के साथ तैयारियों की शुरुआत होगी
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गर्भगृह की विशेष सफाई
बुधवार से दिल्ली के स्वर्णकार की टीम गर्भगृह में रजत मंडित दीवार और चांदी के रुद्रयंत्र की हर्बल केमिकल से सफाई करेगी। साथ ही, गर्भगृह में स्थित भगवान गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय की रजत मूर्तियों की पॉलिश की जाएगी।
ज्योतिर्लिंग के शिखर पर लगे स्वर्ण आवरण की भी सफाई की जाएगी। 17 फरवरी तक सफाई, रंगाई और अन्य सजावट के काम पूरे कर लिए जाएंगे।
कोटितीर्थ कुंड की सफाई
महाकाल मंदिर परिसर में स्थित कोटितीर्थ कुंड धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कुंड के जल का उपयोग भगवान महाकाल के नित्य अभिषेक और पूजन में किया जाता है।
महाशिवरात्रि से पहले इस कुंड की सफाई की जाएगी। कुंड में मौजूद मछलियों और अन्य जलीय जीवों को मत्स्य विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में शिप्रा नदी में स्थानांतरित किया जाएगा।
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महाशिवरात्रि पर दर्शन व्यवस्था
सामान्य दर्शनार्थियों के लिए
26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर सामान्य दर्शनार्थियों को कर्कराज पार्किंग से भील धर्मशाला, गंगा गार्डन, चारधाम मंदिर और शक्तिपथ के रास्ते महाकाल महालोक के मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर से टनल के माध्यम से गणेश और कार्तिकेय मंडपम से महाकाल के दर्शन कराए जाएंगे।
वीआईपी और वीवीआईपी दर्शनार्थियों के लिए
वीआईपी और वीवीआईपी दर्शनार्थियों को बेगमबाग के रास्ते नीलकंठ द्वार से मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। इन दर्शनार्थियों को 250 रुपये का शुल्क चुकाना होगा।
वृद्ध और दिव्यांग दर्शनार्थियों के लिए
वृद्ध और दिव्यांग दर्शनार्थियों को मंदिर के प्रशासनिक भवन के सामने अवंतिका द्वार से प्रवेश दिया जाएगा।