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Mahakal Savari
Mahakal Sawan Sawari 4 August 2025: 12 ज्योर्तिलिंगों में एक उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर से सोमवार, 4 अगस्त 2025 को चौथी सवारी निकाली जाएगी। जिसके लाखों भक्त मध्यप्रदेश का टूरिज्म भी देख सकेंगे। सवारी की अगवानी भगोरिया, भड़म, मटकी और सैला डांस से की जाएगी।
नंदी रथ पर भगवान उमा-महेश की प्रतिमा रहेगी। महाकाल की पालकी में भगवान चंद्रमौलेश्वर विराजेंगे। हाथी पर मनमहेश और गरुड़ रथ पर शिव-तांडव होगा। पुलिस बल भगवान महाकाल को सलामी देगा। सवारी में घुड़सवार पुलिस बल चलेगा। भजन मंडलियां और पुलिस बैंड भी शामिल होंगे।
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महाकाल की चौथी सवारी का रूट
- महाकाल मंदिर से शाम 4 बजे सवारी निकाली जाएगी।
- सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार
- कहारवाड़ी से होकर शिप्रा नदी के रामघाट पर पहुंचेगी।
- वापसी में सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक,
- सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर,
- पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होकर महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
सवारी में यह रहेंगी झांकियां
उज्जैन का सांदीपनि आश्रम
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उज्जैन में स्थित सांदीपनि आश्रम।[/caption]
उज्जैन में स्थित सांदीपनि आश्रम वह पवित्र स्थान है, जहां भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और उनके प्रिय मित्र सुदामा ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की थी। यह आश्रम ज्ञान और मित्रता के बंधन का प्रतीक माना जाता है।
ओंकारेश्वर का एकात्मधाम
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ओंकारेश्वर का एकात्मधाम।[/caption]
ओंकारेश्वर का एकात्मधाम महान दार्शनिक आदि शंकराचार्य को समर्पित है। यह स्थल अद्वैत वेदांत दर्शन का केंद्र है, जो 'एकता' और 'अद्वैत' के सिद्धांत पर जोर देता है। यह आदि शंकराचार्य के सम्मान में बनाया गया है और उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाता है।
एमपी के टाइगर रिजर्व
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एमपी में कान्हा, पेंच, पन्ना और रातापानी टाइगर रिजर्व बाघों की वजह से आकर्षण का केंद्र हैं।[/caption]
एमपी में कान्हा, पेंच, पन्ना और रातापानी टाइगर रिजर्व बाघों के संरक्षण और वन्यजीव पर्यटन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये सबसे ज्यादा बाघों की वजह से आकर्षण का केंद्र हैं। ये स्थान पर्यटकों को प्रकृति और वन्यजीवों को करीब से देखने का मौका भी देते हैं, जिससे पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
ओरछा के होमस्टे, मंदिर
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ओरछा मंदिरों और होमस्टे के लिए प्रसिद्ध है।[/caption]
ओरछा मंदिरों और होमस्टे के लिए प्रसिद्ध है। यहां के रामराजा मंदिर, जहां भगवान राम को राजा रूप में पूजते है। जहांगीर महल 17वीं सदी की वास्तुकला, राज महल सुंदर भित्ति चित्र (फ्रेस्को), चतुर्भुज मंदिर ऊंची मीनारों के लिए जाना जाता है। यहां कई होमस्टे भी हैं, जहां पर्यटक रुककर ग्रामीण जीवन का अनुभव कर सकते हैं।
एमपी के जनजाति नृत्य
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एमपी भगोरिया, भड़म, मटकी और सैला नृत्य के लिए भी जाना जाता हैं।[/caption]
एमपी भगोरिया, भड़म, मटकी और सैला नृत्य के लिए भी जाना जाता हैं। जिनमें भील जनजाति का भगोरिया नृत्य होली के भगोरिया उत्सव का एक अभिन्न हिस्सा है। भारिया जनजाति का भड़म नृत्य, पारंपरिक नृत्य, विवाह समेत अन्य खुशी के अवसरों, मालवा में मटकी महिलाएं सिर पर मटकी रखकर नाचती हैं, सैला नृत्य में पुरुष एक समूह में छड़ी या डंडे पर लयबद्ध तरीके से नृत्य करते हैं।
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