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Ujjain Hari Har Milan 2023: सृष्टि की सत्ता सौंपने महाकाल स्वयं पहुंचेगे श्रीहरि के द्वार, आज होगा हरिहर मिलन

Ujjain Mahakal Hari Har Milan 2023: सृष्टि की सत्ता सौंपने महाकाल स्वयं पहुंचेगे श्रीहरि के द्वार, आधी रा​त को होगा हरिहर मिलन

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Preeti Dwivedi
Ujjain Hari Har Milan 2023: सृष्टि की सत्ता सौंपने महाकाल स्वयं पहुंचेगे श्रीहरि के द्वार, आज होगा हरिहर मिलन

Ujjain Mahakal Hari Har Milan 2023: आज बैकुंठ चतुर्दशी ( Vaikuntha Chaturdashi )  पर उज्जैन में एक अद्भुद नजारा देखने को मिलेगा। जहां बीते चार माह से सृष्टि का संचालन कर रहे श्रीहर (बाबा महाकाल) एक बार फिर से सत्ता की कमान श्री हरि (भगवान विष्णु)के हाथों में सौंपेंगे। आधी रात को 11 बजे श्रीहरिहर मिलन होगा। जब ये अद्भुद नजारा देखने को मिलेगा। आपको बता दें चातुर्मास के पहले देव शयनी एकादशी पर भगवान विष्णु के निंद्रा लोक में जाने के चलते सृष्टि का संचालन भगवान शिव द्वारा किया जाता है।

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देवउठनी एकादशी के बाद बैकुंठ चतुर्दशी होती है खास

आपको बता दें चातुर्मास के पहले देवशयनी एकादशी पर भगवान निंद्रा लोक में चले जाते हैं। इस दौरान सभी शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाती है। इस दौरान पूरी सृष्टि का संचालन भगवान शिव यानि बाबा महाकाल द्वारा किया जाता है। लेकिन देवउठनी एकादशी यानि तुलसी विवाह पर भगवान विष्णु निंद्रा लोक से उठ जाते हैं। इसके बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान महाकाल स्वयं द्वारकाधीश के द्वार पर जाकर उन्हें सृष्टि का संचालन सौंपते हैं।

ऐसे होता है ​श्रीहरिहर मिलन

जब बाबा महाकाल श्रीद्वारकाधीश के द्वार यानि मंदिर पर पहुंचते हैं। तो इस दौरान बाबा महाकाल की प्रिय बेल पत्र और आक के फूलों की माला श्री​हरि यानि विष्णु जी के गले में डाली जाती है। उसके बाद श्रीहर यानि विष्णु जी की प्रिय बैजंती यानि तुलसी की माला बाबा महाकाल के गले में डाली जाती है। इसके बाद दोनों की प्रिय वस्तुओं का भोग एक-दूसरे को लगाया जाता है। और बाबा महाकाल सृष्टि की सत्ता विष्णु जी को सौंपते हैं।

क्या है सत्ता सौंपने की पौराणिक कथा

ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार जब राजा बलि ने स्वर्ग पर सत्ता हासिल करके देवराज इंद्र को बेदखल किया था। जब इंद्रदेव ने भगवान विष्णु से मदद मांगी थी। तब भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर राजा बलि से दान मांगने गए थे। उनके द्वारा राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी गई थी। इस पर वामन रूप में भगवान विष्णु ने दो पग में धरती और आकाश नापा था। ऐसे में तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना सिर आगे किया था।

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पाताल लोक जाने का मांगा था वर

जब वामन रूप में भगवान विष्णु राजा बलि से प्रसन्न हुए थे तो राजा ​बलि ने भगवान से अपने साथ पाताल लोक में जाकर रहने का वर मांगा था। ऐसे में मां लक्ष्मी नाराज हो गई थीं। तब पहली बार राजा बलि को मां लक्ष्मी ने राखी बांधकर भाई बनाया था और उपहार में भगवान विष्णु को स्वतंत्र करने का वचन मांगा था। तभी से ये प्रथा लगातार चली आ रही है। यही कारण है कि उज्जैन में भगवान श्रीहरिहर मिलन होता चला आ रहा है।

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महाकाल की शरण में जया किशोरी

उज्जैन में कथावाचक जया किशोरी की तीन दिवसीय कथा होनी है। इसके पहले वे बाबा महाकाल की शरण में पहुंची और आज सुबह बाबा महाकाल की भस्मारती में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने मंदिर प्रबंधन की तारीफ की। साथ ही कहा कि बाबा की शरण में आकर बड़ा सुकून​ मिलता है। उन्होंने कहा आरती में शामिल होकर मैंने अपने आप को बाबा के करीब पाया।

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