Ujjain Ashtami Puja: शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी पर देवी पूजा की अलग-अलग परंपराएं हैं। ऐसी ही एक अनोखी परंपरा उज्जैन में में होती है। जहां महाष्टमी पर शासकीय नगर पूजा में पूरे शहर में 27 किलोमीटर तक मदिरा की धार बिखेरी जाती है। चलिए जानते हैं राजा विक्रादित्य के समय से ये चली आ रही इस परंपरा के क्या मायने हैं।
पूजा में शासकीय कर्मचारियों की होती है जिम्मेदारी
आपको बता दें इस शासकीय नगर पूजा में एसडीएम के पत्र से शराब की 31 बोतल मिलती हैं। इसमें शहर में बूंद-बूंद कर 27 किमी तक शराब की धार लगाने की परंपरा के लिए तैयारी पहले से होेने लगती हैं।
पूजा के एक हफ्ते पहले एसडीएम की तरफ से एक पात्र आबकारी विभाग को जारी किया जाता है। पत्र को पटवारी के द्वारा स्टेशन स्थित आबकारी विभाग के कार्यालय भेजा जाता है। फिर यहां भंडार से पूजन के लिए कुल 31 बोतल निशुल्क देता है।
विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है परंपरा
जानकारी के अनुसार उज्जैन में शासकीय नगर पूजा की परंपरा विक्रामदित्य द्वारा शुरू की गई। शुक्रवार को महाअष्टमी (Ujjain Ashtami Puja in Hindi) पर शासकीय नगर पूजा हो रही है। इसकी शुरुआत चौबीस खम्बा माता मंदिर (Chaubees Khamba Mata Mandir in Hindi) में महामाया और महालया माता को मदिरा के भोग के साथ हो गई है।
ऐसा माना जाता है कि नवरात्र की महाअष्टमी (Mahashtami Puja 2024) पर नगर पूजा की यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। इस नगर पूजा के दौरान शासकीय दल ढोल-बैंड बजाते हुए 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 40 मंदिरों में पूजा 14 घंटे में तय करते हैं।
इस दौरान देवी मां और भैरव नाथ (Bhairav Nath 2024) को मदिरा का भोग लगाया जाएगा। इस दौरान रास्ते में मिलने वाले हनुमान मंदिरों में झंडा चढ़ाए जाएंगे। इसके बाद पूजा की समाप्ति सबसे आखिरी में आने वाले गढ़ कालिका माता मंदिर (Kalika Mata Mandir) के समीप ही स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर (Handi Fodh Bhairav Mandir) में पूजन के बाद रात करीब 8 बजे समाप्त होगी।
शासकीय नगर पूजा में शामिल होते हैं ये अधिकारी
आपको बता दें ये शासकीय नगर पूजा कलेक्टर करते हैं। इनकी अगुआई में एक दर्जन से अधिक पटवारी, कोटवार सहित अधिकारी, कर्मचारी और श्रद्धालु शामिल होते हैं जो सड़क पर मदिरा की धार लगाते हुए चलते हैं। ये सभी शहरवासियों की शांति, सुख समृद्धि के लिए कामना करते हैं।
आबकारी विभाग देता है नि:शुल्क शराब
आपको बता दें इस नगर पूजा में प्रसाद के रूप में चढ़ाने और बांटने के लिए आबकारी विभाग शराब की 31 बोतल नि:शुल्क राजस्व विभाग को देता है।
बुरी नजर से बचाता है प्रसाद का लाल कपड़ा
प्रशासकीय नगर पूजा के दौरान शहर के चालीस मंदिरों में पूजन के लिए एक लाल कपडे़ का उपयोग होता है। इस कपड़े में सिंदूर और कंकू लगाकर सभी मंदिरों की पूजा की जाती है।
इसके बाद सबसे अंत में हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर यात्रा के समापन के दौरान इस लाल कपड़े को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में बांट दिया जाता है। मान्यता अनुसार बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए इस लाल कपड़े को बांधा जाता है।
हाथों मदिरा की हांडी लेकर चलते हैं कोटवार
शासकीय नगर पूजा में कलेक्टर द्वारा चौबीस खंबा मंदिर में माता महामाया और महालया का पूजन के साथ यात्रा की शुरुआत होती है। परंपरा अनुसार कोटवार हाथों में मदिरा की हांडी लेकर चलते हैं। इस दौरान हांडी से मदिरा की धार पूरे नगर के रास्तों में बहती जाती है।
इस दौरान ढोल नगाड़ों के साथ शासकीय दल 27 किलोमीटर के दायरे में के सदस्य 12 घंटे तक इस दौरान रास्ते में आने वाले चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित सभी 40 देवी, भैरव व हनुमान मंदिरों में पूजा करते हैं।
इसी दौरान माता जी और भैरव जी को मदिरा का भोग लगता है। नगर पूजा रात करीब 8 बजे गढ़ कालिका माता मंदिर में पूजन के बाद समीप ही स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर में पूजन के बाद समाप्त होती है।
नगर पूजा की आवश्यक सामग्री
तेल के डिब्बे-2
सिंदूर 5 किलोग्राम
वर्क चांदी के 5 थोकड़ी
कुंकू 1/2 किलोग्राम
अबीर 1/2 किलो
मेंहदी 1/2 किलो
चूड़ियां 18 सेट
चूंदड़ी 10 सेट
सोलह सिंगार सेट-7
चमेली तेल की शीशी -6
नारियल पचास
चना का बाकल-10 किलो
गेहूं का बाकल 10 किलो
कोड़िया- 100
पूजा की सुपारी 1 किलोग्राम
सिंघाड़ा सूखा – 1 किलोग्राम
लाल नाड़ा-10 आंटी
लाल कपड़े पाव मीटर के कुल 40
किनारी गोटा-5
गुग्गल-1 किलोग्राम
अगरबत्ती 10 पैकेट
कोरे पान डंठल वाले-100
कपूर 500 ग्राम
पूड़ी 10 किलो,
भजिये 10 किलोग्राम
दही 250 ग्राम
दूध 100 मिलीलीटर
शक्कर 50 ग्राम
नींबू 100 नग
हार फूल साठ
चावल एक किलोग्राम
इत्र की शीशी- 6
काजल डब्बी 12
बिंदी 12
तोरण-1
एक मीटर के लाल झंडे-3
मदिरा 25 बाटल
सात प्रकार का धान बलबाकल
इन 40 मंदिरों में होती है शासकीय नगर पूजा
• चौबीस खंबा मंदिर (चौबीस मातृका)
• चामुण्डा माता
• महालया मंदिर
• पदमावती माता
• अर्द्धकाल भैरव
• देवास गेट भैरव मंदिर
• इंदौर गेट वाली माता
• कालिका माता- (दक्षिण दिशा महाकाली)
• ठोकरिया भैरव
खूंटपाल देव भैरव
• खूंटदेव भैरव (हरिफाटक ओवर ब्रिज के कोने पर)
• चौसठ योगिनी मंदिर
• खूंटदेव भैरव
• भैरव मंदिर खूंटपाल
• इच्छामन माता
• खूंट देव भैरव
• भूखी माता
• लाल बाई
• सती माता
• फूल बाई
• खूंटदेव भैरव
शतचण्डी देवी (शांभवी माता)
• कोयला मसानी भैरव
• शतचण्डी (वैष्णवीदेवी)
• गणगौर माता (गणगौर दरवाजा के द्वार पर)
• शतचण्डी (दुर्गा कॉलोनी)
• गणगौर माता- (गणगौर दरवाजा के उत्तर में)
• राम केवट हनुमान
श्मशान भैरव
• खूटपाल भैरव
• सत्ता देव
• नगरकोट की महारानी
• आशा माता
• मां नाकेवाली दुर्गा मंदिर
• आज्ञा वीर बेताल भैरव
• खूंटपाल भैरव
• गढ़कालिका
• खूंटदेव भूतनाथ, बटुक भैरव
• बिजासन मंदिर
हांडीफोड़ भैरव
27 किलोमीटर की यात्रा में लगते हैं 14 घंटे
आपको बता दें ये यात्रा सुबह 8 बजे शुरू हो गई है। नगर के 40 मंदिरों की पूजा के लिए 27 किलोमीटर की ये यात्रा लगातार चलती रहती है। जिसे पूरा करने में 14 घंटे का समय लगता है। इसकी समाप्ति शाम 7.30 बजे होती है।
ऐसे होती है मंदिरों की पूजा
आपको बता दें इस शासकीय नगर पूजा में दल के सहायकों द्वारा तय मार्ग पर पैदल चलते हुए मंदिरों की पूजा की जाती है। इसमें मार्ग में आने वाले सभी मंदिरों पर सिंदूर लगाया जाता है। इसके बाद मंदिर पर पूजा पूजा के लिए तय अधिकारी या पटेल को पूजा सामग्री तत्काल भेंट दी जाती है। इसके बाद आरती करने के बाद ये यात्रा आगे के मंदिर की ओर प्रस्थान कर जाती है।
क्यों छोड़ी जाती है मदिरा की धार
शहर में मदिरा की धार छोड़ने और माता रानी को मदिरा का भोग (Madira ka Bhog in Chaubees Khamba Mandir Ujjain) लगाने के पीछे लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से शहर में सुख-समृद्धि आती है।