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UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड में यूसीसी बिल हो गया पास, समान कानून लागू करने वाला पहला राज्य

UCC Bill Uttarakhand: 'समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक' बुधवार को विधानसभा में पारित हो गया। देश का पहला राज्य बन जाएगा।

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Kalpana Madhu
UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड में यूसीसी बिल हो गया पास, समान कानून लागू करने वाला पहला राज्य

हाइलाइट्स

  • विधानसभा में बहुमत से हुआ पारित
  • देश का पहला यूसीसी बिल
  • समान कानून लागू करने वाला पहला राज्य 
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UCC Bill Uttarakhand: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार की ओर से पेश किया गया 'समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक' (Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill) बुधवार को विधानसभा में पारित हो गया।

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विधानसभा में यूसीसी (UCC) बिल पास होने के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करेगा और वह ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।

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   12 फरवरी को संकल्प लिया, सात फरवरी को विधेयक पास

मुख्यमंत्री धामी ने कहा, विधानसभा चुनाव के दौरान 12 फरवरी 2022 को उन्होंने जनता के सामने दोबारा सत्ता में आने पर समान नागरिक संहिता कानून लाने का संकल्प लिया था। आज करीब दो साल बाद सात फरवरी को यह संकल्प सिद्ध हो गया है। जनता ने जिस मकसद से उन्हें चुना, वह समानता का अधिकार सबको मिलने जा रहा है। कहा, इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर न देखें।

   विस से पास होने के बाद अब आगे क्या

विधानसभा से यूसीसी बिल पास होने के बाद अब यह राजभवन को भेजा जाएगा। चूंकि यह संविधान की समवर्ती सूची का विषय है, इसलिए बिल अनुमोदन के लिए राज्यपाल से राष्ट्रपति को भेज दिया जाएगा। इस पर राष्ट्रपति भवन को फैसला लेना है। वहां से मुहर लगने के बाद राज्य में कानून लागू हो जाएगा।

   यूनिफॉर्म सिविल कोड से क्या बदलेगा, 5 पॉइंट में समझें

समान संपत्ति अधिकार : बेटे और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि वह किस कैटेगरी के हैं।

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मौत के बाद संपत्ति: अगर किसी व्यक्ति की मौत जाती है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड उस व्यक्ति की संपत्ति को पति/पत्नी और बच्चों में समान रूप से वितरण का अधिकार देता है। इसके अलावा उस व्यक्ति के माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। पिछले कानून में ये अधिकार केवल मृतक की मां को मिलता था।

समान कारण पर ही मिलेगा तलाक: पति-पत्नी को तलाक तभी मिलेगा, जब दोनों के आधार और कारण एक जैसे होंगे। केवल एक पक्ष के कारण देने पर तलाक नहीं मिल सकेगा।

लिव इन का रजिट्रेशन जरूरी: उत्तराखंड में रहने वाले कपल अगर लिव इन में रह रहे हैं तो उन्हें इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हालांकि ये सेल्फ डिक्लेशन जैसा होगा, लेकिन इस नियम से अनुसूचित जनजाति के लोगों को छूट होगी।

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संतान की जिम्मेदारी : यदि लिव इन रिलेशनशिप से कोई बच्चा पैदा होता है तो उसकी जिम्मेदारी लिव इन में रहने वाले कपल की होगी। दोनों को उस बच्चे को अपना नाम भी देना होगा। इससे राज्य में हर बच्चे को पहचान मिलेगी।

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