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बुंदेलखंड के दो विपरीत ध्रुव हुए एक: अब बदलेगी सूबे की सियासी हवा, बन रहे ये समीकरण!
मध्यप्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह की जुगलबंदी सुर्खियों में है... बुंदेलखंड की सियासत के दो विपरीत ध्रुव अब एक हो गए हैं... भूपेंद्र सिंह के बेटे के जन्मदिन पर इस जोड़ी की ऐसी बॉन्डिंग नजर आई की सियासी पंडितों ने इन्हें जय-वीरू की तक कहना शुरू कर दिया... जश्न का माहौल है... मंच सजा है और भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव का हाथ थामकर उन्हें डांस में शामिल होने के लिए कह रहे हैं... इस सियासी डांस ने न सिर्फ विपक्ष बल्कि बीजेपी के नेताओं का भी ध्यान खींचा... राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो एक वक्त ऐसा भी था जब इन दोनों नेताओं को बुंदेलखंड की सियासत का पूर्व और पश्चिम कहा जाता था... लेकिन अब ये दोनों ही एक साथ एक मंच पर आ गए हैं... अंदरखानों की मानें तो भूपेंद्र सिंह ने पहली बार इतने भव्य तरीके से अपने बेटे का जन्मदिन मनाया है.. इस आयोजन में वर्तमान विधायकों से लेकर पूर्व सांसद भी मौजूद थे, लेकिन सिंधिया समर्थक और कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत इस पूरे कार्यक्रम से दूर रहे... इसकी वजह भी साफ है, दरअसल शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को मोहन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली.. जबकि कांग्रेस से बीजेपी में आए गोविंद सिंह राजपूत मोहन कैबिनेट का हिस्सा हैं... हैरानी की बात तो ये है कि, सागर से सिर्फ एक मंत्री बनाया गया जो गोविंद सिंह राजपूत ही हैं... इसे लेकर गोपाल-भूपेंद्र की नाराजगी भी गाहे बगाहे सामने आती रही है... राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो गोविंद सिंह राजपूत का गुट मजबूत होने से गोपाल-भूपेंद्र ने अपना एक गुट बना लिया है... अब इन दोनों में से कौन सा गुट बुंदेलखंड की सियासी हवा को भांप कर उस पर राज करेगा ये तो वक्त ही बताएगा...
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