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Tulsi Farming: तुलसी का पौधा भारतीय संस्कृति और परंपरा में अत्यंत पूजनीय माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे पवित्रता और शुभ का प्रतीक माना जाता है, वहीं आयुर्वेद में तुलसी एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में जानी जाती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम से लेकर कई गंभीर बीमारियों के उपचार में किया जाता है। यही कारण है कि आज कई किसान तुलसी की खेती को आय का एक बड़ा स्रोत बना रहे हैं।
भविष्य के तौर पर देखें तो आप इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आप को बता दें कि कई किसान पारंपरिक फसलों की बजाय तुलसी जैसी औषधीय फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। जो तुलसी की खेती शुरू कर सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। तुलसी की पहली कटाई बुवाई के 60-70 दिन बाद हो जाती है और सालभर में तीन से चार बार कटाई संभव है। एक सीजन में ही वे करीब 1 लाख रुपये तक की आय कमा लेते हैं।
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तुलसी की किस्में और मांग
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तुलसी की कई किस्में पाई जाती हैं, जैसे राम तुलसी, श्याम तुलसी और वन तुलसी। इनमें राम तुलसी की मांग सबसे ज्यादा है, क्योंकि इसका इस्तेमाल दवाइयों, आयुर्वेदिक तेलों और अर्क बनाने में किया जाता है। तुलसी की पत्तियां, बीज और अर्क सबका बाजार में अच्छा दाम मिलता है।
खेती की तकनीक और देखभाल
तुलसी किसी भी तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। बीज से पौध तैयार कर 25-30 दिन बाद खेत में रोपाई की जाती है। पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन शुरुआती 15 दिनों तक नियमित सिंचाई जरूरी होती है। जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट और गोबर की खाद तुलसी की वृद्धि के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। तुलसी में आमतौर पर ज्यादा कीट नहीं लगते, लेकिन बारिश में पत्तियों पर फफूंदी आ सकती है, जिसे जैविक फफूंदनाशक से नियंत्रित किया जा सकता है।
बाजार और बिक्री के अवसर
तुलसी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी फसल की खरीद के लिए किसानों को अलग से बाजार खोजने की जरूरत नहीं पड़ती। आयुर्वेदिक दवा कंपनियां, तेल निर्माता संस्थाएं और निजी व्यापारी पहले से संपर्क कर लेते हैं। खरगोन के आसपास के इंदौर और अन्य जिलों में तुलसी की भारी मांग रहती है।
सरकारी सहायता
औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि और उद्यानिकी विभाग कई योजनाएं चला रहा है। इच्छुक किसान इन योजनाओं के तहत अनुदान, प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करना होगा।
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