आज का मुद्दा: छत्तीसगढ़ की सियासत में पहली बार डिप्टी सीएम का पद बना है। सरगुजा के महाराज प्रदेश के पहले डिप्टी सीएम बने जिसके बाद सियासत का नया दौर शुरू हो गया। बीजेपी इसे 60 दिन का पद बता रही है तो जय-वीरू की जोड़ी का जिक्र भी सामने आने लगा है। इस एक्शन का रिएक्शन चुनाव में क्या होगा। आज हम इसी को समझेंगे।
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छत्तीसगढ़ में एकजुटता का मंत्र इतना जल्दी कमाल दिखाएगा, इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। छत्तीसगढ़ के पहले डिप्टी सीएम की स्क्रिप्ट दिल्ली में लिखी गई और बुधवार देर रात को, प्रदेश के पहले डिप्टी सीएम बने, सरगुजा के महाराज टीएस सिंहदेव। गुरुवार सुबह डिप्टी सीएम सिंहदेव और शैलजा रायपुर पहुंचे। उसके बाद बूथ चलो अभियान में भी साथ नजर आए। टीएस बाबा ने एकजुटता के साथ चुनाव लड़ने और अपनी भूमिका पर बात रखी तो सीएम भूपेश और कुमारी शैलजा ने इस फैसले को पार्टी के लिए फायदेमंद बताया।
दरअसल, छत्तीसगढ़ की सियासत में जय-वीरू की जोड़ी ने ना सिर्फ 2018 में बंपर बहुमत से कांग्रेस को जीत दिलाई बल्कि 15 साल की रमन सरकार को, महज 15 सीटों पर ला खड़ा किया। 15 साल की रमन सरकार के बाद 2018 में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई। सीएम पद की खींचतान और ढाई ढाई साल की अटकलों के बाद अब चुनाव से एन पहले, सिंहदेव डिप्टी सीएम बने तो बीजेपी ने तंज कसने का मौका नहीं छोड़ाष पूर्व सीएम रमन सिंह ने इसे झुनझुना बताते हुए, टीएस बाबा को महज 60 दिन का डिप्टी सीएम बताया।
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चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस के इस बड़े फैसले से सत्ता और संगठन को कितना लाभ होगा और सरगुजा की सियासी समीकरणों को साधने में टीएस कितने सफल होंगे ये सारी बातें अगले कुछ महीनों में साफ होंगी। हालांकि, ये मैसेज जरुर क्लियर है कि चुनाव में भूपेश बघेल चेहरा जरूर होंगे, लेकिन चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
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