Kakanmath Temple: 22 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो रही है। हिन्दू धर्म में सावन महीने को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
यह महीना पूर्णरूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शिव को सृष्टि का निर्माता माना जाता है। हिन्दू धर्म के लोग सावन के महीने में देवो के देव महादेव की विशेष रूप से पूजा करते हैं इसके साथ ही व्रत रखते हैं।
मध्यप्रदेश उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन मध्यप्रदेश में महाकाल मंदिर के अलावा एक ऐसा रहस्यमयी शिव जी का मंदिर है जिसके बारे में आप शायद ही जानतें होंगे।
जानकारी की मानें तो इस रहस्यमयी मंदिर का निर्माण भूतों ने किया है। इसके आलावा यह मंदिर किसी सीमेंट या चूनें के बिना पत्थरों को एक दूसरे के ऊपर रखकर ही बनाया गया है।
आज हम आपको इस रहस्यमयी मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
11वीं शताब्दी का है ककनमठ मंदिर
ककनमठ भारत के मध्य प्रदेश के सिहोनिया, बावड़ीपुरा में स्थित 11वीं सदी का एक खंडहर शिव मंदिर है। इस मंदिर की कहानी 11 शतब्दी से शुरू होती है। बताय जाता है कि मध्यप्रदेश का सिहोनिया उस समय कुशवाहों की राजधानी हुआ करती थी।
इस राज्य में महामहिम कनकवती का राज हुआ करता था। जो कि भगवान शिव की समर्पित भक्त थीं। कनकवती के मन में हमेशा से ही भगवान शिव के सम्मान में भव्य मंदिर बनवाने की इच्छा थी।
जिसको कुशवाहा शासक कीर्तिराज ने 1015 ई. में ककनमठ मंदिर के निर्माण कर पूरा किया। यह कनकमठ मंदिर खजुराहो के मंदिरों की तरह शिल्पकारी समेटे हुए है।
यह मंदिर लगभग 150 फीट पिरामिड जैसा दिखता है।
रातों-रात भूतों से करवाया निर्माण
पुराणों कि मानें तो 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के ऐबक और इल्तुतमिश की सेनाओं ने मंदिर को नष्ट कर दिया था और यह गुमनामी में चला गया था, लेकिन इसके बाद इस मंदिर के साथ कुछ ऐसा घटा जिसने इस मंदिर को रहस्यमयी बना दिया।
माना जाता है कि कनकमठ का निर्माण किसी सीमेंट या चूनें के बिना पत्थरों को एक दूसरे के ऊपर रखकर ही किया गया है।
इसकी ख़ास बात यह भी है कि इस मंदिर के निर्माण में लगने वाले पत्थर आसपास के क्षेत्र में नहीं पाए जाते हैं।
गुमनामियों की कैद में बंद इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है की इसे भूतों द्वारा रात भर में बनवाया है।
एक के ऊपर एक पत्थर रखकर बनाए गए इस मंदिर को आजतक आंधी-तूफ़ान हिला नहीं सका है। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि कोई अदृश्य शक्ति इस मंदिर की रक्षा करती है, क्योंकि ऐबक और इल्तुतमिश की सेनाओं ने मंदिर को नष्ट करने के बाद पुनः इस मंदिर का निर्माण कैसे हुआ यह किसी को नहीं पता है।
ASI की देखरेख में है मंदिर
यह मंदिर फिलहाल ग्वालियर क्षेत्र के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI की देखरेख में है। अपने भव्य और प्राचीन भारतीय कला इतिहास के कारण इसे भगवान शिव के एक बेहतरीन मंदिरों में जाना जाता है।
आपको इस मंदिर में प्रवेश के लिए पहले सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। जिसके बाद आपको प्रवेशद्वार पर दो खंबे दिखाई देंगे।
मंदिर के अंदर आपको हिन्दू देवी-देवताओं की कई टूटी मूर्तियां दिखाई देंगी इसके साथ ही बीच में आप शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे ककनमठ मंदिर
ककनमठ मंदिर, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में स्थित है और यहाँ पहुँचने के लिए आप ग्वालियर शहर से लगभग 70 किमी दूर सिहोनिया गाँव जा सकते हैं।
ग्वालियर रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे से टैक्सी या बस सेवा उपलब्ध है। ग्वालियर से मुरैना की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर यात्रा करें और सिहोनिया पहुँचने के बाद स्थानीय मार्गदर्शन का उपयोग करके मंदिर तक पहुँचें।
यह मंदिर अपने अद्वितीय स्थापत्य और रहस्यमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे दर्शनीय स्थल बनाता है।
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