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Jio, Airtel, Vi और BSNL यूजर के लिए नया नियम, जानें

Telecom New Rule: टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने लोगों को स्कैम और ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए पिछले कुछ समय से नियमों में बदलाव किए हैं।

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Shashank Kumar
Telecom New Rule

Telecom New Rule: आज के इंटरनेट युग में जैसे-जैसे स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उससे कहीं ज्यादा कई तरह के खतरे भी बढ़ें हैं। स्मार्टफोन ने हमारे कई सारे कठिन काम तो आसान तो बनाए, लेकिन इसने स्कैमर्स और साइबर क्रिमिनल्स को लोगों को ठगने का स्मार्ट तरीका भी मिल गया।

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इसी को लेकर टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने लोगों को स्कैम और ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए पिछले कुछ समय से नियमों में बदलाव किए हैं।

TRAI ने टेलिकॉम कंपनियों को दिए ये निर्देश

ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए TRAI ने एक बड़ा फैसला लेते हुए टेलिकॉम कंपनियों (Telecom New Rule) को ट्रेसबिलिटी लागू करने के निर्देश दिए थे।

कॉमर्शियल मैसेज और ओटीपी से जुड़े ट्रेसबिलिटी नियम को लागू करने के लिए TRAI ने अगस्त में ही कह दिया था। लेकिन, इसे लागू करने की तारीख में TRAI कई बार बदलाव कर चुकी है। 

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TRAI ओटीपी मैसेज की ट्रेसेबिलिटी को लागू करने के लिए टेलिकॉम कंपनियों (Telecom New Rule) के पास पहले 31 अक्टूबर तक का समय था। लेकिन जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल की मांग के बाद कंपनी ने इसकी समय सीमा 30 नवंबर तक बढ़ा दी थी।

अब एक बार फिर नवंबर में इसकी समय सीमा समाप्त होने जा रही हैं तो टेलिकॉम कंपनियों को कॉमर्शियल मैसेज और OTP मैसेज को ट्रैक करने के लिए ट्रेसेबिलिटी नियम को लागू करना होगा। 

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OTP आने में होगी देरी

इस नियम के तहत जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल 1 दिसंबर से ट्रेसबिलिटी नियम को लागू करती हैं तो इससे OTP मैसेज आने में समय लग सकता है। ऐसे में अगर आप बैंक या फिर रिजर्वेशन जैसा कुछ काम करते हैं तो आपको ओटीटी पाने में समय लगेगा।

दरअसल, TRAI ने इस तरह का कदम इसलिए उठाया है क्योंकि कई बार फेक ओटीपी मैसेज के जरिए स्कैमर्स लोगों के डिवाइस का एक्सेस पा लेते हैं और इससे लोगों को भारी नुकसान होता है। TRAI ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को इसे सख्ती के साथ लागू करने का फैसला लिया है। 

क्या है ट्रेसेबिलिटी नियम?

स्पैम और फ़िशिंग को रोकने के लिए, टेलीकॉम कंपनियों को कमर्शियल मैसेज और ओटीपी मैसेज को ट्रैक करने के लिए ट्रेसेबिलिटी नियमों का पालन करना होता है।

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इन नियमों के तहत, टेलीकॉम कंपनियां धोखा देने वाली संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट कर सकती हैं और मोबाइल नंबरों को डिस्कनेक्ट कर सकती हैं। इसके अलावा इस नियम में अब कंंपनियां पहले यूजर का लोकेशन एक्सेस करने के बाद मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजेंगी। यह सभी नियम यूजर को फ्रॉड से बचाने के लिए बनाए गए हैं।

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