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छत्रपति संभाजीनगर ही रहेगा औरंगाबाद: क्या मुस्लिम नाम के शहरों को बदलने का चलाया जा रहा अभियान, सरकार ने ये दिया जवाब

Indian Cities Name Change: भारत में शहरों के नाम बदलने की कितनी पुरानी है परंपरा, जाननें के लिए पढ़ें बंसल न्यूज डिजिटल के ये खबर...

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Rahul Sharma
छत्रपति संभाजीनगर ही रहेगा औरंगाबाद: क्या मुस्लिम नाम के शहरों को बदलने का चलाया जा रहा अभियान, सरकार ने ये दिया जवाब

हाइलाइट्स

  • भारत में शहरों के नाम बदलने की 700 साल पुरानी पंरपरा
  • मुगल शासक और फिर ब्रिटिश शासनकाल में भी बदले नाम
  • मुस्लिम नाम बदलने के अभियान के आरोपों का ये दिया जवाब
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Indian Cities Name Change: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम छत्रपति संभाजीनगर बरकरार रखा है।

8 मई को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने बदले हुए नामों की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज (Bombay High Court order) कर दिया।

नाम बदलने पर अक्सर विवाद रहता है कि आखिर उस शहर का नाम क्यों बदला गया। औरंगाबाद अकेला ऐसा शहर नहीं है, जिसके नाम बदलने पर विवाद की स्थिति बनी।

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महाराष्ट्र के ही उस्मानाबाद शहर नाम धाराशिव करने पर मामला कोर्ट पहुंचा था। हालांकि इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया।

बंसल न्यूज डिजिटल पर आज हम बात करेंगे इस नाम बदलने की परंपरा की और जानेंगे क्या वाकई मुस्लिम नाम के शहरों को बदलने का अभियान चलाया जा रहा है।

नाम बदलने की परंपरा (Indian Cities Name Change) कितनी पुरानी है और क्या ऐसा करने का सरकार के पास अधिकार है।

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नाम की क्या होती है महत्ता

नाम न सिर्फ शहर की पहचान बताता है, बल्कि यह उस जगह के स्वभाव, बर्ताव और भविष्य पर भी प्रभाव डालता है।

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हमारे देश में कई शहरों या जगहों के नाम उस पर शासन करने वाले राजा-महाराजाओं के नाम पर रखे गए हैं।

वहीं कुछ नाम वहां से जुड़े विशिष्ट व्यक्ति के नाम पर है। कुछ शहरों के नाम धर्म के आधार पर तो कुछ के नाम वहां की विशिष्ट पहचान से जुड़े हुए हैं।

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नाम बदलने पर अक्सर उठते हैं ये सवाल

1. संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन कर निर्णय लेते समय जनता की भावनाओं पर विचार नहीं किया?

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2. धर्म विशेष के प्रति नफरत फैलाने और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए नाम बदला जा रहा है?

क्या सरकार को है नाम बदलने का अधिकार

बिल्कुल है...राज्यों की भूमि राजस्व संहिता में इसे लेकर प्रावधान है, हालांकि ये विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हो सकता है।

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महाराष्ट्र के मामले में औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के लिए महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता 1966 की धारा 4 का उपयोग किया गया।

यह एक्ट राज्य सरकार को राजस्व क्षेत्र की सीमा को बदलने या ऐसे किसी भी राजस्व क्षेत्र को समाप्त करने और उसका नामकरण (Indian Cities Name Change) करने की अनुमति देता है।

मुस्लिम नामों को बदलने के अभियान का लगा आरोप

महाराष्ट्र के केस में सरकार पर आरोप लगे कि नाम बदलना (Indian Cities Name Change) राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है और धार्मिक कलह को बढ़ावा देता है।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1788138865410097181

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में उन सभी शहरों के नाम बदलने का अभियान चल रहा है, जिनके नाम मुस्लिम हैं।

सरकार ने हाई कोर्ट में ये दिया जवाब

महाराष्ट्र सरकार ने इस तर्क का खंडन किया और कहा कि राज्य में उच्च सम्मान (छत्रपति संभाजीनगर मामले में) में रखे गए व्यक्तित्व पर एक शहर का नामकरण करने का कोई धार्मिक रंग नहीं है।

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उस्मानाबाद का नाम बदलने वाले मामले में अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने बताया कि उस्मानाबाद शहर का नाम बदलकर धाराशिव करने पर शहर के अधिकांश निवासियों ने जश्न मनाया था।

महाराष्ट्र सरकार ने आगे दावा किया कि इस नाम बदलने से (Indian Cities Name Change) न तो धर्मनिरपेक्षता की भावना कम हुई और न ही कोई सांप्रदायिक कलह पैदा हुई।

भारत में नाम बदलने की पंरपरा 700 साल पुरानी

भारत में नाम बदलने की परंपरा 700 साल से अधिक पुरानी है। जैसे-जैसे मुगलशासक किसी इलाके पर जीत हासिल करते थे तो वहां के शहरों, गांवों के नाम भी उनके अनुसार हो जाते थे।

मुहम्मद बिन तुगलक ने जब राजधानी को दिल्ली से ले जाकर देवगिरी में स्थापित किया था, तो उसने देवगिरी का नाम बदल कर दौलताबाद (Indian Cities Name Change) कर दिया।

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साल 1303 में चित्तौड़गढ़ किले पर कब्जा करने के बाद अलादुद्दीन खिलजी ने अपने बेटे खिज्र खान के नाम चित्तौड़गढ़ का नाम खिजराबाद कर दिया था।

बता दें कि इसके अलावा अंग्रेजों ने कई शहरों के नाम बदले और फिर भारत के आजाद होने के बाद देश के कई शहरों का नाम बदल (Indian Cities Name Change) दिया गया।

अंग्रेजों ने बदल दिए थे 26 शहरों के नाम

ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजो ने भारत के 26 शहरों के नाम बदल दिये थे। इससे पहले ये मुगल शासक के नाम पर थे। हालांकि देश आजादी के बाद इनके नाम फिर बदल दिये गए।

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1974 में गुजरात के बरोड़ा का नाम बदलकर वडोदरा कर दिया गया था। त्रिवेंद्रम नाम अंग्रेजों ने दिया था, हालांकि केरल की राजधानी का नाम 1991 से ही तिरुवनन्तपुरम हो चुका है।

अंग्रेजों ने मद्रास का नाम मद्रासपट्टिनम से बदलकर मद्रास रखा था। कोचीन नाम भी अंग्रेजों ने ही रखा था। इसका नाम भी कोच्ची 1996 में ही बदलकर (Indian Cities Name Change) किया गया।

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6 मुगल शासक के नाम पर 704 जगहों के नाम

भारत में 704 जगहों के नाम तो 6 मुगल शासकों के नाम पर है। इन मुगलों में बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब शामिल है।

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इसमें अकबर के नाम पर देश में 251 गांवों के नाम हैं। इसके बाद औरंगजेब के नाम 177, जहांगीर के नाम 141, शाहजहां के नाम 63, बाबर के नाम पर 61 और हुमायूं के नाम पर 11 जगहों के नाम हैं।

इसमें 392 उतर प्रदेश, 97 बिहार, 50 महाराष्ट्र , 38 हरियाणा, 9 आंध्र प्रदेश, 3 छतीसगढ़, 12 गुजरात, 4 जम्मू-कश्मीर, 3 दिल्ली, 22 मध्य प्रदेश, 27 पंजाब, 4 ओडीशा, 9 पश्चिम बंगाल, 13 उत्तराखंड और 20 राजस्थान में हैं।

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