Vichar Manthan: आज का युग आधुनिक युग है, जहां हर क्षेत्र में विकास देखने को मिलता है। पूरी दुनिया पर आधुनिकता का भूत सवार हो चुका है।
आधुनिकता का सीधा संबध विकास से दिखाई देता है। उद्योग से लेकर प्रयोग तक यह संसार बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहते हैं हम
इस विकास की दौड़ में हम मानवता को भूल चुके हैं। हम एक बार भी पीछे मुड़कर देखना भी नहीं चाहते हैं, जो एक बड़ी भूल साबित हो सकती है।
कहते हैं कि इतिहास अपने आप को दोहराता है, जो हमें समय-समय पर देखने को भी मिलता है। इतना होने के बावजूद हम कुछ सीखने के मूड में नहीं हैं।
प्रकृति के साथ हो है रहा गंभीर छेड़-छाड़
आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसी चर्चा क्यों कर रहे हैं। यदि आप भी इस विषय को समय और स्थिति के जोड़कर देखेंगे तब यह बात आपको भी सार्थक लगेगी।
हम बात कर रहे हैं प्रकृति के साथ हो रहे छेड़-छाड़ की, जहां विकास की दौड़ में आगे निकलने के लिए आए दिन वही हो रहा है, जिससे हमें बचने की जरूरत है।
ये स्थिति खासकर पहाड़ी और जंगली इलाको में ज्यादा देखने को मिलती हैं। इन सब का समय के साथ दुष्परिणाम भी देखने को मिलता है।
Vichar Manthan का विषय
ऐसे में हमें पेड़ों और पहाड़ों के साथ छेड़-छाड़ करने से बचने की जरूरत है। यदि अभी भी हमने इतिहास से कुछ नहीं सीखा तो इससे भी अधिक विकट परिस्थिति देखने को मिल सकती हैं।
इन सब बातों का कोई मतलब नहीं रह जाएगा यदि हम अमल नहीं करते हैं। यह एक विचार मंथन का विषय है, जिसपर वृहद चर्चा की जरूरत है। चर्चा के साथ-साथ इस पर अमल की ज्यादा जरूरत है।
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डिस्क्लेमर: विचार मंथन में प्रस्तुत आर्टिकल के विचार लेखक के निजी विचार हैं। बंसल न्यूज न तो उसका विरोध करता है और न समर्थन।