अगर इस कड़कड़ाती ठंड में सुबह-सुबह नहाना आपको 'खतरों के खिलाड़ी' वाला स्टंट लगता है, तो खुश हो जाइए—क्योंकि अब साइंस भी, हम 'आलसियों' की तरफ है! जी हां, बचपन से हमें रटाया गया है कि 'रोज नहाओ, प्रभु के गुण गाओ', लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सर्दियों में रोज-रोज गर्म पानी और साबुन से रगड़कर नहाना आपकी स्किन पर भारी पड़ सकता है। गर्मियों में पसीना आता है तो नहाना मजबूरी है, लेकिन सर्दियों में हमारा शरीर नेचुरल ऑयल बचाता है, जिसे रोज नहाकर हम धो डालते हैं। यानी अगर आपने आज नहाने की छुट्टी मार ली है, तो गिल्टी फील मत कीजिये, आप बस अपनी स्किन केयर कर रहे हैं!" "लेकिन रुकिए... इसका मतलब ये नहीं कि आप हफ्ते भर तक पानी की शक्ल ही न देखें और अपने आस-पास के लोगों की नाक में दम कर दें! साइंस कहता है कि अगर आप जिम नहीं जाते या धूल-मिट्टी वाला काम नहीं करते, तो एक दिन छोड़कर नहाना (Alternate Day) बिल्कुल ठीक है। लेकिन, जब भी नहाएं, खौलते हुए पानी की जगह गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें और बाथरूम से निकलते ही मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं। तो अगली बार घर वाले न नहाने पर ताना मारें, तो उन्हें कहिए—'मम्मी, मैं आलसी नहीं हूं, मैं बस अपनी स्किन का नेचुरल ऑयल बचा रहा हूं!'"
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