एमपी के सीहोर जिले के चंदेरी गांव से सामने आई ये तस्वीरें, देश के अन्नदाता की मायूसी का सबसे बड़ा सबूत हैं... प्याज की कीमतें जमीन पर आ गईं, जिससे मजबूर होकर किसान अपनी पूरी मेहनत भोपाल-बिलकिसगंज हाईवे पर राहगीरों को मुफ्त में बांटने लगे... किसानों का दर्द साफ है: मंडी में प्याज मात्र 10 रुपए प्रति कट्टी बिक रही है, यानी 40 पैसे प्रति किलो! इतनी कम कीमत पर उनकी लागत तो क्या, भाड़ा तक नहीं निकल पा रहा है। किसानों ने कहा, "फेंकने से अच्छा है कि किसी के काम आ जाए।" सोयाबीन के बाद अब प्याज में हुए इस भयंकर घाटे ने किसानों की कमर तोड़ दी है... किसानों की यह बेबसी बता रही है कि उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पहले फसल की बर्बादी और अब दाम न मिलने की मार। कई किसान अपनी प्याज सड़कों और नालों में फेंकने को मजबूर हो गए हैं, लेकिन चंदेरी के किसानों ने मुफ्त वितरण का फैसला लेकर अपना विरोध जताया। इसी बेबसी में, किसानों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है कि प्याज को तुरंत 'भावांतर योजना' के तहत खरीदा जाए और उन्हें हुए नुकसान की भरपाई की जाए। किसानों का दर्द साफ है—प्याज रो रही है और उसके साथ किसान भी!
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