भोपाल। CM Mohan Cabinet: मध्य प्रदेश में सीएम मोहन यादव के मंत्रिमंडल में 28 मंत्री बनाए गए। इनमें से 21 मंत्री ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं। जबकि 7 मंत्रियों ने 12वीं तक पढ़ाई की। वहीं एक मंत्री ने महज 8वीं क्लास तक पढ़ाई की है।
अगर इनकी उम्र की बात की जाए तो, इछावर सीट से विधायक करण सिंह वर्मा (68) सबसे उम्रदराज मंत्री हैं। वहीं रैगांव सीट से विधायक प्रतिमा बागरी (35) सबसे कम उम्र की मंत्री हैं।
1. कैलाश विजयवर्गीय- इंदौर-1 से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के संजय शुक्ला को 57719 वोटों के अंतर से हराया था। विजयवर्गीय 67 साल है, उन्होने LLB तक पढ़ाई की। वे इंदौर-2, इंदौर-4 और महू से विधायक रहे। इसी के साथ वे चार बार BJP राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल के प्रभारी रह चुके हैं।
2. पहलाद सिंह पटेल – नरसिंहपुर विधानसभा सीट से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने कांग्रेस के लाखन सिंह को 32 हजार 095 वोटों के अंतर से हराया।
63 साल के पटेल ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे अटल सरकार में कोयला मंत्री रहे। 1989 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और पंचा बार सांसद रहे। मोदी सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री रहे।
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3. राकेश सिंह – जबलपुर पश्चिम से पहली बार विधायक बने, उन्होंने कांग्रेस के तरुण भनोत को हराया है। 61 साल के राकेश सिंह ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है।
राकेश सिंह 14वीं,15वीं और 16वीं लोकसभा में सांसद रहे, इसके अलावा वे 2018 मध्य प्रदेश भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष बने। 2019 में फिर से सांसद निर्वाचित हुए।
4. करण सिंह वर्मा – सीहोर जिले की इछावर से लगातर आठवीं बार विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल को 16 हजार 346 वोटों के अंतर से हराया है।
68 के साल वर्मा ने 12वीं तक पढ़ाई की। वे 1975 से संघ से जुड़े हुए हैं। साथ ही 1985, 1990,1993, 1998 2003 और 2008 में विधायक बने। इसके अलावा वह उमा और शिवराज सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
5. उदय प्रताप सिंह – नरसिंहपुर की गाडरवारा सीट से दूसरी बार विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस की सुनीता पटेल को 56 हजार 789 वोटों के अंतर से हराया है।
59 साल के उदय प्रताप सिंह ने इंजीनियरिंग (BE) तक पढ़ाई की है। वे पहली बार 2007 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 2009 में होशंगाबाद से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। 2013 में पार्टी से इस्तीसफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर सांसद बने।
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6. विजय शाह – खंडवा जिले की हरसूद सीट से लगातार 8वीं बार विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस के सुखराम सालवे को 5996 वोटों के अंतर से हराया है।
59 साल के शाह ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। उन्हों ने छात्र संघ से राजनीति की शुरुआत की और 1990 में पहली बार विधायक बने। 2003 में उमा भारती की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। इस के बाद बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में भी मंत्री रहे।
7. तुलसी सिलावट – सांबेर सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस की रीना बोरासी को 65हजार 854 वोटों के अंतर से हराया था।
67 के तुलसी सिलावट ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे सिंधिया खेमे से आते हैं। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे। वहीं 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए। उप-चुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को हराकर शिवराज सरकार में मंत्री बने|
8. एदल सिंह कंषाना – मुरैना की सुमावली सीट से पंचवी बार विधायक बने। उन्होंधने कांग्रेस के कुलदीप सिंह सिकरवार को 16 हजार 8 वोटों के अंतर से हराया था।
63 साल के कंषाना ने आठवीं तक पढ़ाई की है। वे 1993, 1998 में बसपा और 2008,2018 में कांग्रेस से विधायक रहे। साथ ही दिग्विजय सरकार मंत्री रहे। सिंधिया के साथ बीजेपी शामिल हो गए।
9. निर्मला भूरिया – झाबुआ जिले की पेटलावद से विधायक हैं, उन्होंने कांग्रेस के वाल सिंह मेडा को 5647 वोटों के अंतर से हराया था।
55 साल की भूरिया ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे 1992 में छात्र राजनीति में आई और 1993 पहली बार चुनाव लड़ा। 1998, 2003, 2008 और 2013 में विधायक बनी। वे 2008 में शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रही। निर्मला भूरिया आदिवासी नेता दिलीप सिंह भूरिया की बेटी हैं।
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10. गोविंद सिंह राजपूत – सागर जिले की सुरर्खी से चौथी बार विधायक बने। उन्होंरने कांग्रेस के नीरज शर्मा को 2143 वोटों के अंतर से हराया था।
62 साल के गोविंद सिंह ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे सिंधिया के कट्टर समर्थक है। कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक बने। 2020 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। उप-चुनाव जीतकर शिवराज सरकार में परिवहन राज्य राजस्व मंत्री रहे।
11. विश्वास सारंग – भोपाल की नरेला सीट से चौथी बार विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस के मनोज शुक्ला को 24 हजार 569 वोटों के अंतर से हराया है।
51 साल के सारंग ने BE तक पढ़ाई की है। वे 1999 में पार्षद बने। इसके बाद नरेला सीट से लगातार चौथी बार विधायक चुने गए। साथ ही शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे।
12. नारायण कुशवाह – ग्वालियर दक्षिण से विधाकय बने। उन्होने कांग्रेस के प्रवीण पाठक को 2536 वोटों के अंतर से हराया है।
67 साल के नारायण कुशवाह ने 12 तक पढ़ाई की है। वे 2003, 2008 और 2013 में विधायक बने। शिवराज सरकार में राज्यमंत्री रहे। लेकिन 2018 में 121 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे।
13. नागर सिंह चौहान- आलीराजपुर से विधायक हैं। उन्होहने कांग्रेस के मुकेश पटेल को 3732 वोटों के अंतर से हराया था।
46 साल के चौहान ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे 2003, 2008 और 2013 में तीन बार चुनाव जीते, लेकिन 2018 में कांग्रेस के मुकेश पटेल से हार गए थे। वे प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
14. चेतन्य काश्यप- रतलाम शहर से तीसरी बार विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस के पारस सकलेचा को 60 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था।
64 साल के चैतन्यय काश्यटप ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। उन्होिनें पहली बार 2013 में विधानसभा चुनाव लडा। इससे पहले वह 2010 से 2015 तक कोषाध्यगक्ष रहे। इसके अलाव वे मध्यय प्रदेश योजना आयोग के उपाध्यिक्ष भी रह चके हैं।
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15. इंदर सिंह परमार- शाजापुर की शुजालपुर सीट से विधायक हैं, उन्होंने कांग्रेस के रामवीर सिंह सिकरवार को 14हजार 271 वोटों के अंतर से हराया था।
59 साल के इंदर सिंह परमार ने B.sc और LLB तक पढ़ाई की है। वे 2002 से 2009 तक युवा मोर्चा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य रह चुके हैं। शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री रहे।
16. राकेश शुक्ला – भिंड जिले की मेहगांव सीट से विधायक हैं। कांग्रेस के राहुल भदौरिया को 22 हजार से अधिक वोटों कें अंतर से हराया है।
57 साल के राकेश शुक्लां ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। उनके पिता सुखराम शुक्ला ग्वालियर के संघ संचालक रहे। 1998 में वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते। लेकन 2003 में चुनाव हार गए।
17. प्रद्युम्न सिंह तोमर – ग्वालियर से तीसरी बार विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस के सुनील शर्मा को 19 हजार वोटों के अंतर से हराया है।
53 साल के प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे 2008 में पहली बार विधायक बने। लेकिन 2013 में बीजेपी के जयभान सिंह पवैया से चुनाव हार गए। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे। 2020 में सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और उप-चुनाव जीतकर शिवराज सरकार में ऊर्जा मंत्री बने।
18. संपतिया उइके – मंडला से विधायक हैं। उन्होंमने कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार मर्सकोले को 15 हजार 947 वोटों के अंतर से हराया है।
56 साल की संपतिया उइके ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं। 2013 में मांडलसे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के संजीव छोटेलाल उइके से हार गई।
राज्य मंत्री के रूप में इन्होंने ली शपथ
19. राधा सिंह – रीवा जिले की चितरंगी सीट विधायक है। उन्होंने कांग्रेस नेता माणिक सिंह को इस चुनाव में हराया था। 45 साल की राधा सिंह ने पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। इससे पहले वे जिला पंचायत अध्यक्ष रही। उनके ससुर जगन्नाथ सिंह चार बार विधायक और दो बार सीधी से सांसद रहे।
20. प्रतिमा बागरी- रीवा जिल की रैगांव सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस की कल्पना वर्गा को 36 हजार वोटों से हराया था। 35 साल की प्रतिमा बागरी ने ग्रेजुएशन में LLB की डिग्री ली है। वे लंबे समय से भाजपा महिला मोर्चा की महामंत्री रही।
21. दिलीप अहिरवार- छतरपुर की चंदला सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के अनुरागी हरप्रसाद को 15 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 53 साल के दिलीप अहिरवार पोस्ट ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। इससे पहले वे बीजेपी जिला उपाध्यक्ष, अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महांमत्री भी रह चुके हैं।
22. नरेन्द्र शिवाजी पटेल – रायसेन जिले की उदयपुरा सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को 42 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। 52 साल के नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे लंबे समय से संघ से जुझे हैं। उनके पिता शिवाजी पटेल पूर्व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष रह चुके हैं।
23. कृष्णा गौर- भोपाल की गोविंदपुरा सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के रविंद्र साहू को 1 लाख 6 हजार 668 वोटों के अंतर से हराया था। 55 साल की कृष्णा गौर ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे पूर्व सीएम बाबूलाल गौर की बहू हैं। इसके साथ वे भोपाल की महापौर भी रह चुकी हैं।
24. धर्मेंद्र लोधी- दमोह की जबेरा सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के प्रताप सिंह लोधी को 15 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। 45 साल के धर्मेंद्र लोधी ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। वे छात्र जीवन से संघ से जुड़े हैं। साथ ही पार्टी में कई पदों पर रह चके हैं।
25. दिलीप जायसवाल – अनूपपुर की कोतमा सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के सुनील सराफ को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 62 साल के दिलीप जायसवाल ने 12वीं तक पढ़ाई की है। वे 2008 और 2013 में विधायक बने, लेकिन 2018 में चुनाव हार गए।
26. गौतम टेटवाल – राजगढ़ जिले की सारंगपुर सीट से विधायक हैं। उन्होनें कांग्रेस की कला महेश मालवीय को 23 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। 60 साल के गौतम टेटवाल ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। वे लंबे समय से संघ से जुड़े है। साथ ही 2008 में पहली बार विधायक बने थे।
27. लखन पटेल – दमोह की पथरिया सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के राव बृजेंद्र सिंह को 18 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। 66 साल के लखन पटेल ने पोस्ट ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। वे 2013 में पहली बार विधायक बने। लेकिन 2018 में हार गए। 2023 में दूसरी बार विधायक बने हैं।
28. नारायण पवार – राजगढ़ की ब्यावरा सीट से विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस के पुरुषोत्तम दांगी को 36 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। 67 साल के नारायण पवार ने 10वीं तक पढ़ाई की है। वे 2013 में पहली बार विधायक बने। इससे पहले वह पार्टी के कई अहम पदों पर रह चुके हैं।
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