Top Mango Variety: भारत में गर्मियों के सीजनल फलों में आम की जगह कोई फल नहीं ले सकता है। शायद ही कोई घर होगा, जहां इस मौसम में उनके खाने में आम शामिल न होता हो।
कुछ लोग तो आम के इतने आशिक होते हैं कि वे इसके बिना रह ही नहीं सकते। यदि आप भी आम के इतने बड़े दीवाने हैं, तो आपने इसकी सारी बहुत किस्मों का स्वाद लिया होगा।
यहां पेश है आम की नायाब और शानदार वैरायटी, जिसे मैंगो लवर्स को एक बार जरुर खाना चाहिए, वर्ना उनके शौक में हमेशा कुछ अधूरापन-सा रहेगा।
15. बीजू आम (Beeju Mango)
बीजू आम की कोई स्पेशल वैरायटी नहीं है, लेकिन जो इसके स्वाद के दीवाने होते है, वे कोई और आम खाना पसंद नहीं करते हैं। आम खाने के बाद जो गुठली फेंक दी जाती है और उससे जो आम का पेड़ बनता है और फल लगता है, उसे बीजू आम कहते हैं।
सडकों के किनारे, खेतों के कोनों पर जो घने-छायेदार आम के पेड़ होते है, वे प्रायः बीजू आम के पेड़ ही होते हैं।
भारत की आधी से अधिक आबादी प्राकृतिक रूप से उगे इस आम को खाती हैं। इसकी खासियत यह है यह आम की ओरिजिनल वैरायटी का ही स्वाद देता है। लेकिन, मूल आम के मुकाबले इसमें रस और रेशा अधिक लेकिन गूदा कम होता है।
14. सुकुल आम (Sukul Mango)
सुकुल आम की एक बहुत ख़ास वैरायटी है, जो आम की सभी किस्मों में सबसे अंत में पकता है। वैसे तो इसका सबसे अधिक इस्तेमाल कच्चे में ही अचार बनाने में होता है। लेकिन जब यह पकता है, तो इसके आगे सारे आम फीके पड़ जाते हैं।
पकने के बाद सुकुल आम रस से लबालब और स्वाद से भरपूर होता है। एक मैच्योर आम में आधा लीटर से अधिक रस होता है। इस आम के रेशे काफी लंबे होते हैं।
बता दें, सुकुल आम कविवर रवींद्रनाथ टैगोर का पसंदीदा आम था। वे कहा करते थे, सुकुल के पेट में मेरी दाढ़ी से भी लंबी दाढ़ी है।
13. सीपिया आम (Sipiya Mango)
सीपिया आम आकार में दसहरी की लम्बा लेकिन थोड़ा ज्यादा (मुड़ा) कर्व होता है। इसका रंग चमकदार सुनहरा पीला होता है। जहां तक स्वाद की बात है, इसका फ्लेवर सभी आमों से अलग होता है।
भीनी-भीनी खुशबू इस किस्म के फलों की सबसे बड़ी विशेषता इसकी भण्डारण क्षमता है। इसे बहुत दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
12. रसपुरी आम (Raspuri Mango)
यह दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य का एक बेहद लोकप्रिय किस्म है। रसपुरी आम की पहचान उसके अंडाकार आकार और हल्के-चमकीले लाल छिलके से होती है।
यह आम की एक अगाति यानी अर्ली वैरायटी है, जो अप्रैल-मई में पक जाता है और जून के पहले हफ्ते में खत्म हो जाता है।
रस की मिठास के कारण इसे ‘मीठा आम’ भी कहते हैं। इसी आम को महाराष्ट्र में ‘पैरी’ कहते हैं।
सही समय पर खेती और कटाई होने पर आम की यह वैरायटी स्वाद और रस के मामले में किसी भी अन्य आम को मात देने में सक्षम है।
11. पाहेरी पैरी आम (Paheri Pairi Mango)
पैरी आम भी एक अर्ली वैरायटी है, जो अप्रैल और जुलाई के महीने में उपलब्ध होते हैं। अधिकांशतः गुजरात में होने वाले इस आम को स्थानीय लोग ‘शुद्ध शहद’ कहते हैं। यह उपनाम निस्संदेह इसकी मिठास और स्वाद का परिचायक है।
कहने वाले भले इसे शहद कहते है, लेकिन इसमें खट्टेपन और मिठास अद्भुत संगम होता है, जो इसे आम की अन्य किस्मों से बहुत अलग बनाता है।
10. लक्ष्मणभोग आम (Lakshmanbhog Mango)
आम की यह विशेष वैरायटी पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में सबसे अधिक उपजाई जाती है। अपनी चमकदार सुनहरी लाल छिलका के कारण यह अलग ही दिखता है। इसकी सबसे अच्छी खासियत है इसमें सही मात्रा में मिठास का होना।
आमतौर पर जून और जुलाई के महीने में उपलब्ध होने वाले इस आम को एक समय में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात करने के लिए रूप से चुना गया था।
9. तोतापुरी आम (Totapuri Mango)
मध्यम आकार के हरे-सुनहरे पीले तोतापुरी आम अपने विशिष्ट स्वाद और सुगंध के लिए मशहूर है। यह दक्षिण भारत विशेष कर बेंगलुरु के आस-पास सबसे अधिक होता है।
यही कारण है कि इसे ‘बंगलौरा’ भी कहते हैं। इसके कई अन्य नाम भी हैं, जैसे- सैंडरशा, कल्लामाई, किली मुक्कु आदि। इसका एक बहुत रोचक नाम है, कलेक्टर। कहते हैं, ब्रिटिश ज़माने में कोई कलेक्टर इस आम का इतना बड़ा दीवाना था कि वो बगैर तोतापुरी आम के ब्रेकफास्ट, लंच या डिनर करता ही नहीं था।
यूं तो तोतापुरी आम मई से जुलाई माह तक उपलब्ध रहता है। लेकिन इसे बहुत दिनों तक, लगभग 6 महीने तक, स्टोर कर के रखा जा सकता है।
8. सफेदा आम (Safeda Mango)
इस आम को सफ़ेदा, बैंगनपल्ली, बेनीशान या चपटा भी कहते हैं। मुख्य तौर पर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के क्षेत्रों में लोकप्रिय इस आम को “दक्षिण भारत के आम का राजा” भी कहा जाता है ।
बैंगनपल्ली आम न केवlल साइज़ में बड़ा, वजन लगभग 350 से 400 ग्राम तक, होता है, बल्कि अपनी भीनी-भीनी खुशबू और स्वाद से दिल जीत लेता है।
7. बादामी आम (Badami Mango)
उत्तरी कर्नाटक के इलाके में होने वाले बादामी आम को एकबार चख लेने के बाद इसके स्वादिष्ट स्वाद को भुला पाना नामुमकिन है। शायद यही कारण है बादामी को लोग कर्नाटक अल्फांसो भी कहते हैं। सामान्यतः ये आम मई से जुलाई तक मिल पाते हैं।
6. हिमसागर और किशन भोग आम (Himsagar & Kishanbhog Mango)
पश्चिम बंगाल के दो जिले आम की विशेष किस्मों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। एक, मालदा और दूसरा, मुर्शिदाबाद। इसमें भी मुर्शिदाबाद को आम के वैरायटी का कारखाना (Factory of Mango Variety) कहा जाता है।
मुर्शिदाबाद हिमसागर, नवाबपसंद, किशन भोग और बेगमपसंद जैसी किस्मों के उत्पादन लिए न केवल प्रसिद्ध है, बल्कि इन किस्मों का निर्यातक भी है। यहां हिमसागर आम के सीजन के शुरुआत में मई से जून तक ही पाए जाते हैं।
5. गुलाबखास आम (Gulabkhas Mango)
भारतीय आमों की एक प्रमुख किस्म गुलाबखास अपनी पतली छाल, मधुरता और उच्च गुणवत्ता के कारण आम प्रेमियों के दिल में बसता है। इसका आकार मध्यम से बड़ा होता है। कच्चा होने पर काफी खट्टा लेकिन पक जाने के बाद पतली गुठली वाला यह आम काफी गूदेदार और रसीला यानी जूसी होता है।
इस आम का सीजन काफी सीमित अप्रैल से मध्य जून तक है। शायद कम उत्पादन और अच्छी क्वालिटी होने के कारण गुलाबखास आम को भारतीय किस्मों में एक महंगा और पसंदीदा वैरायटी है।
4. लंगड़ा आम (Langra Mango)
लंगड़ा आम गर्मियों में आम के सीजन का शायद प्रमुख और लोगों का सबसे चहेता फल है। उपज और उपयोग के मामले में यह भारत में दूसरे नंबर पर है। जब यह आम पकता है, तो इसकी गंध लोगों में भूख जगा देती है।
लंगड़ा की मधुरता यानी मिठास, स्वादिष्ट और पल्पी होना इसे अन्य आमों से अलग बनाता है। इस आम की दूसरी महत्पूर्ण विशेषता है, इसका मुलायम होना, जिसे आसानी से काटा जा सकता है। इसलिए लोग इसे काट कर फांकों के रूप में खाना अधिक पसंद करते हैं। बूढ़े-बच्चे सभी इस आम के फैन होते हैं।
3. दशहरी आम (Dasheri Mango)
उत्तर प्रदेश के नवाबों की धरती यानी लखनऊ और मलीहाबाद के विश्व प्रसिद्ध दशहरी आम को शाही आम भी कहते हैं। अपने मुलायम और पतले छिलके, बेहतरीन स्वाद और भरपूर पल्प के कारण यह भारत में आमों की अन्य किस्मों से अलग है।
यह भारत का सबसे अधिक बिकने वाला आम है, जो मध्य मई से अगस्त के अंत तक बाजार में दिखते हैं।
2. केसर आम (Kesar Mango)
गुजरात के जूनागढ़, विशेष कर तलाला, का केसर आम अपने नाम के अनुरूप है। अपने विशिष्ट मीठे और अद्भुत स्वाद के कारण आम की यह किस्म आम प्रेमियों में काफी प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इसे आमों की रानी (Queen of Mango) कहा जाता है।
एक बार चख लेने के बाद इस आम के स्वाद को भुला पाना असंभव है। ये आम मई से जून के महीने में ही उपलब्ध होते हैं। इसके उत्पादन का अधिकांश भाग विदेश निर्यात कर दिया जाता है।
1. अल्फांसो आम (Alphonso Mango)
महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र, विशेष कर रत्नागिरी, देवगढ़, सिंधुदुर्ग आदि, में उपजने वाला अल्फांसो आम केवल खास नहीं बल्कि खासमखास है। धूप जैसे पीले रंग का ये आम केवल भारत नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पसंद किया जाता है।
हालांकि इसका नाम अल्फांसो डी अल्बुकर्क नाम के एक पुर्तगाली सेनापति के नाम पर रखा गया है, लकिन यह पूर्णतः भारतीय है। अद्वितीय स्वाद और मांसलता के कारण यह नाम ‘आम का राजा’ कहलाता है। यह आम बाजार में उतरते ही गायब हो जाता है। जिसकी दो वजह है, पहला, इसका उत्पादन कम होना, दूसरा, उत्पादन का 70% से अधिक का विदेश निर्यात कर दिया जाना।
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