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Toolkit controversy: आसान भाषा में समझें, 'टूलकिट विवाद' क्या है और इस मामले में लोग क्यों गिरफ्तार हो रहे हैं

Toolkit controversy: आसान भाषा में समझें, 'टूलकिट विवाद' क्या है और इस मामले में लोग क्यों गिरफ्तार हो रहे हैंToolkit controversy: Understand in simple language, what is the 'toolkit controversy' and why people are getting arrested in this case

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Bansal Digital Desk
Toolkit controversy: आसान भाषा में समझें, 'टूलकिट विवाद' क्या है और इस मामले में लोग क्यों गिरफ्तार हो रहे हैं

नई दिल्ली। शनिवार को टूलकिट (Toolkit) मामले में गिरफ्तार की गई बेंगलुरू की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पांच दिनों की रिमांड पर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया है। बतादें कि दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में आपराधिक साजिश रचने के आरोप में एडिटरों के खिलाफ FIR संख्या 49/21 को दर्ज किया था। जिसके बाद दिशा को गिरफ्तार किया गया है।

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हालांकि, लोगों की दिलचस्पी इस बात में ज्यादा है कि ये टूलकिट क्या है? बजाय इसके कि इस मामले में किसकी गिरफ्तारी हुई है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ये टूलकिट आखिर है क्या और इससे क्या किया जाता है।

ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर किया था टूलकिट
मालूम हो कि किसान आंदोलन को लेकर कुछ दिन पहले ही स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने एक टूलकिट को शेयर किया था। तब से ही ये शब्द सुर्खियों में है और इसी टूलकिट को एडिट करने का आरोप दिशा रवि पर है। दरअसल, टूलकिट को अगर हम आसान भाषा में समझें तो ये एक प्रकार का गूगल डॉक्यूमेंट (Google document) होता है। जिसमें विस्तार से किसी खास मुद्दे के बारे में बताया जाता है। ताकी लोग उसे पढ़कर आसानी से समझ सकें कि आखिर देश या समाज में जो ज्वलंत मुद्दा चल रहा है वह क्यों चल रहा है। साथ ही साथ इसमें ये भी बताया जाता है कि अगर कोई समस्या है तो इसके समाधान के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं।

कई आंदोलनों को चलाने के लिए टूलकिट का इस्तेमाल
इस किट में एक्शन प्वाइंट्स लिखे जाते हैं। ताकि कोई भी इंसान उसको फॉलो करके आंदोलन के साथ जुड़ सकता है। खासकर टूलकिट का इस्तेमाल सोशल मीडिया के लिए किया जाता है। इसमें कैंपेन स्ट्रैटजी के अलावा किसी आंदोलन या प्रदर्शन को कैसे किया जाए इसके तहत जानकारी दी जाती है। दुनिया में इस वक्त कई आंदोलन चल रहे हैं। इन सभी आंदोलनों को टूलकिट के माध्यम से ही चलाया जा रहा है। चाहे वो ब्लैक लाइव्स मैटर हो या अमेरिका का एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट सभी आंदोलन में टूलकिट का इस्तेमाल किया गया है।

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दो लोगों की तलाश जारी
वहीं अगर किसान आंदोलन को लेकर बनाए गए टूलकिट की बात करें तो दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस दस्तावेज से देश में विद्रोह पैदा करने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि इस मामले में लेखकों के खिलाफ आईपीसी की धारा-124ए, 153ए, 153, 120बी के तहत केस दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस मामले में दिशा रवि को बेंगलुरू से गिरफ्तार कर लिया गया है साथ ही उनके दो साथी, निकिता और शांतनु की तलाश जारी है।

पुलिस ने इस पूरे मामले पर क्या कहा
पुलिस ने दावा किया है कि इस टूलकिट को जनवरी में बनाया गया था ताकि इसके माध्यम से आंदोलन को विदेश में ले जाया जा सके। जहां भारतीय दूतावास को टारगेट किया जाता और जब विदेशों में इसका असर दिखता तो जाहिर सी बात है कि इससे भारत की बदनामी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती। साथ ही पुलिस ने ये भी दावा किया है कि इस टूलकिट के माध्यम से ही 26 जनवरी से पहले ट्विटर पर स्टॉर्म पैदा करने की कोशिश की गई थी। ताकी देश में महौल बिगड़ सके।

खालिस्तानी एंगल भी मिला
गौरतलब है कि इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस को खालिस्तानी एंगल भी मिला है। उनका कहना है कि इस टूलकिट के माध्यम से खालिस्तानी ग्रुप को दोबारा खड़ा करने की बड़ी साजिश थी। टूलकिट से जुड़े कई लोग खालिस्तानी संगठन पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन के धालीवाल के संपर्क में थे। वहीं दिशा रवि पर आरोप है कि उन्होंने ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट को एडिट किया था और उसे सोशल मीडिया पर साझा करने वाली मुख्य साजिशकर्ता है।

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