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टोक्यो। गत चैंपियन मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार ने मंगलवार को यहां पुरुष Tokyo Paralympic 2020 ऊंची कूद टी42 स्पर्धा में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते जिससे टोक्यो पैरालंपिक ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं में अभूतपूर्व प्रदर्शन के बीच भारत के पदकों की संख्या 10 तक पहुंच गई।
मरियप्पन ने 1.86 मीटर के प्रयास के साथ रजत पदक अपने नाम किया जबकि अमेरिका के सैम ग्रेव ने अपने तीसरे प्रयास में 1.88 मीटर की कूद के साथ सोने का तमगा जीता। शरद ने 1.83 मीटर के प्रयास के Tokyo Paralympic 2020 साथ कांस्य पदक जीता।
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मरियप्पन ने पदक जीतने के बाद कहा ,‘‘ मैं विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीत सकता Tokyo Paralympic 2020 था। मैं उसी लक्ष्य के साथ यहां आया था लेकिन बारिश से सब गड़बड़ हो गई। शुरूआत में बूंदाबांदी हो रही थी लेकिन 1 . 80 मीटर मार्क के बाद तेज होने लगी । मेरे दूसरे पैर ( दाहिना पैर ) का मोजा गीला हो गया और कूदना मुश्किल हो गया था।’’
उन्होंने कहा ,‘‘रियो में मौसम अच्छा था और मैने स्वर्ण पदक जीता। अब मैं 2024 में पेरिस में स्वर्ण जीतने की कोशिश करूंगा।’’ स्पर्धा में हिस्सा ले रहे तीसरे भारतीय और रियो 2016 पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता वरूण सिंह भाटी नौ प्रतिभागियों में सातवें स्थान पर रहे। वह 1.77 मीटर की कूद लगाने में नाकाम रहे। कांस्य पदक विजेता कुमार ने कहा कि वह पैर की चोट के कारण स्पर्धा Tokyo Paralympic 2020 से नाम वापिस लेने की सोच रहे थे।
उन्होंने कहा ,‘‘ कल मेरे घुटने में चोट लगी थी। मैने नाम वापिस लेने के बारे में सोचा। अपने परिवार से बात की लेकिन उन्होंने खेलने को कहा। उन्होंने कहा कि भागवत गीता पढो और कर्म पर ध्यान लगाओ। जो मेरे वश में नहीं है, उसके Tokyo Paralympic 2020 बारे में मत सोचो।’’
टी42 वर्ग में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है जिनके Tokyo Paralympic 2020 पैर में समस्या है, पैर की लंबाई में अंतर है, मांसपेशियों की ताकत और पैर की मूवमेंट में समस्या है। इस वर्ग में खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा पेश करते हैं। इससे पहले मंगलवार को निशानेबाज सिंहराज अडाना ने पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल एसएफ1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।
भारत ने अब तक दो स्वर्ण, पांच रजत और तीन कांस्य पदक जीते हैं। इनमें से एक स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य एथलेटिक्स में मिले हैं। रियो में पांच साल पहले स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियप्पन टोक्यो ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भारत के ध्वजवाहक थे।
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उन्हें स्वर्ण पदक का प्रबल Tokyo Paralympic 2020 दावेदार माना जा रहा था। पांच वर्ष की उम्र में बस के नीचे कुचले जाने के बाद उनका दाहिना पैर खराब हो गया था। उनके पिता ने परिवार को छोड़ दिया जिसके बाद मां ने उन्हें अकेले पाला । उनकी मां मजदूरी करती थी और बाद में सब्जी बेचने लगी। तमिलनाडु के खिलाड़ी मरियप्पन का बचपन गरीबी और अभावों में बीता।
वहीं पटना के रहने वाले कुमार को दो बरस की उम्र में पोलियो की नकली खुराक लेने के बाद बायें पैर में लकवा मार गया था। वह दो बार एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। Tokyo Paralympic 2020 भालाफेंक में सोमवार को सुमित अंतिल ने स्वर्ण पदक जीता जिन्होंने एफ64 वर्ग में अपना ही विश्व रिकॉर्ड पांच बार दुरूस्त किया।
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