मेहसाणा। पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल के रविवार को Tokyo Paralympic 2020 टोक्यो में पैरालंपिक खेलों की महिला एकल क्लास 4 स्पर्धा के फाइनल में एतिहासिक रजत पदक जीतने के बाद गुजरात के मेहसाणा जिले के उनके पैतृक गांव सुंधिया में परिवार के सदस्यों और मित्रों ने पारंपरिक ‘गरबा’ नृत्य, पटाखे जलाकर और एक दूसरे पर गुलाल लगाकर जश्न मनाया।
भाविनाबेन को फाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की झाउ यिंग के खिलाफ 0-3 से शिकस्त का सामना करना पड़ा लेकिन वह पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनने में सफल रहीं।
चौंतीस साल की भाविनाबेन को पैरालंपिक की दो बार की स्वर्ण पदक विजेता झाउ के खिलाफ 19 मिनट Tokyo Paralympic 2020 में 7-11 5-11 6-11 से हार का सामना करना पड़ा। भाविनाबेन के पिता हसमुख पटेल ने उसकी जीत के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह भले ही दिव्यांग हो लेकिन हमने उसे कभी इस तरह नहीं देखा। हमारे लिए वह ‘दिव्य’ है। हमें बेहद खुशी है कि उसने देश के लिए रजत पदक जीता।’’
An accomplishment that will echo through #IND 🗣️
Bhavina Patel receives her medal as she wins the nation's first #silver in #ParaTableTennis at the #Tokyo2020 #Paralympics ❤️pic.twitter.com/l4xzgHpYWK
— Olympic Khel (@OlympicKhel) August 29, 2021
हसमुख गांव में किराने Tokyo Paralympic 2020 की छोटी दुकान चलाते हैं। भाविनाबेन के पैतृक गांव में तोक्यो से उनके मैच का सीधा प्रसारण देखने के लिए बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। सुबह से ही लोग मैच देखने के लिए एकत्रित हो गए थे। भाविनाबेन को भले ही अपने पहले पैरालंपिक के फाइनल के हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन इसके बावजूद लोगों ने जमकर जश्न मनाया। मुकाबला खत्म होने के साथ ही लोगों ने नाचना, पटाखे जलाना और एक दूसरे पर गुलाल फेंकना शुरू कर दिया।
उनके एक रिश्तेदार ने कहा, ‘‘जैसा कि आप देख सकते हैं भाविना के रजत पदक जीतने के बाद से हम सुबह से ही गरबा खेल रहे हैं। हम उसके भव्य स्वागत की पूरी तैयारी कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि भाविनाबेन की Tokyo Paralympic 2020 उपलब्धि पर उन्हें बेहद खुशी है और वे उसकी जीत पर गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।